एक ताज़ा सर्वेक्षण में विश्वबैंक ने भारत को विकासशील अर्थव्यवस्थाओं की श्रेणी से अगल कर दिया है। अब भारत की गिनती पाकिस्तान,जांबिया और घाना जैसे देशों के साथ होगी और ये सारे देश लोअर मिडिल इनकम केटेगरी में आते हैं। इसके साथ ही भारत की 5 ट्रिलियन की अर्थव्यवस्था बनने के सपने को गहरा झटका लगा है।
सबसे बुरी बात यह है कि ब्रिक्स देशों में भारत को छोड़कर चीन,रूस,दक्षिण अफ्रीका और ब्राजील अपर मिडिल इनकम श्रेणी में आते हैं।
क्या है विकासशील और विकसित अर्थव्यवस्था का पैमाना
दरअसल अभी तक लो और मिडिल इनकम वाले देशों को विकासशील और हाई इनकम वाले देशों को विकसित अर्थव्यवस्था वाले देशों में गिना जाता रहा है। लेकिन अर्थव्यवस्था के आधार पर श्रेणियों को बाटने वाले पैनामों में विश्वबैंक ने हाल ही में कुछ नये परिवर्तन किये हैं।
विश्वबैंक के डाटा साइंटिस्ट तारिक खोखर के अनुसार ” हमारे वर्ल्ड डेवलपमेंट इंडीकेटर्स पब्लिकेशन में हमने लो और मिडिल इनकम वाले देशों को विकासशील देशों के साथ रखना बंद कर दिया है। अर्थात अब से केवल अपर मिडिल क्लास इनकम वाले देश ही विकासशील देशों की श्रेणी में गिने जायेंगे’।
उन्होंने आगे कहा, ” विश्लेष्णात्मक उद्देश्य से भारत को लोअर मिडिल इनकम अर्थव्यवस्था में रखा जा रहा है। हमारे सामान्य कामकाज में हम विकासशील देश के टर्म को नहीं बदल रहें हैं लेकिन जब स्पेशलाइज़्ड डाटा देंगे तो देशों की सूक्ष्म श्रेणियों का प्रयोग करेंगे। ”
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वर्ल्ड बैंक की ओर से कहा गया है कि मलावी और मलेशिया दोनों विकासशील देशों में गिने जाते हैं किंतु यदि अर्थव्यवस्था की दृष्टि से देखें तो पता चलता है कि मलावी का आंकड़ा 4.25 मिलिअन डॉलर का है जबकि मलेशिया का 338.1 बिलियन डॉलर है। नए बंटवारे के बाद अफ़ग़ानिस्तान, नेपाल लो इनकम में आते हैं। रूस और सिंगापूर हाई इनकम नॉन ओईसीडी की श्रेणी में और अमेरिका हाई इनकम ओईसीडी श्रेणी में आता है।
नयी श्रेणियों का निर्धारण वर्ल्ड बैंक ने कई मानकों के आधार पर किया है। इन मानकों में मातृ मृत्यु दर, व्यापर शुरू करने में लगने वाला समय , टैक्स कलेक्शन, स्टॉक मार्केट, बिजली उत्पादन और साफ़-सफाई जैसे मानक शामिल है।