जानिये क्या होता है फ्लोर टेस्ट, कैसे साबित किया जाता है बहुमत

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महाराष्ट्र चुनाव में राजनीति को सत्ता में बदलने का खेल अब फ्लोर टेस्ट पर आकर रुक गया है। मुख्यमंत्री पद की शपथ ले चुके देवेंद्र फडणवीस को महाराष्ट्र विधानसभा में 24 घंटे के भीतर अपना बहुमत सिद्ध करना होगा। महाराष्ट्र में सरकार बनाने के पश्चात बीजेपी को अपने बहुमत फ्लोर टेस्ट में साबित करना होगा। 23 /11 /2019 को सुबह राज्यपाल द्वारा सुनाये गए फैसले के विरोध में शिवसेना,एनसीपी तथा कांग्रेस ने सुप्रीम कोर्ट में दस्तक दे दिया है। विपक्षी पार्टियों ने कोर्ट में याचिका दायर की है कि बीजेपी सरकार को हटाया जाये या फिर 24 घंटों के अंदर बीजेपी फ्लोर टेस्ट में अपना बहुमत साबित करे।

क्या होता है फ्लोर टेस्ट

आपको बता दें की विधानसभा में सबके सामने अपना बहुमत साबित करने की प्रक्रिया को फ्लोर टेस्ट कहते हैं। फ्लोर टेस्ट में अपनी पार्टी के लिए विधायक स्पीकर के सामने अपना वोट करते हैं। अगर किसी भी राज्य में एक से अधिक पार्टियां सरकार बनाने का दावा करती है लेकिन किसी भी पार्टी का बहुमत साबित न हो तो ऐसी स्थिति में उस राज्य का राज्यपाल किसी एक पार्टी को फ्लोर टेस्ट में बहुमत साबित करने के लिए कहता है। जैसे की महाराष्ट्र चुनाव के फ्लोर टेस्ट में भाजपा को अपना बहुमत साबित करने के लिए कहा गया है। फ्लोर टेस्ट के दौरान विधानसभा में सभी विधायकों को बहुमत चुनाव के लिए बुलाया जाता है।

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कैसे किया जाता है फ्लोर टेस्ट

ईवीएम, बैलेट बॉक्स या आवाज किसी भी तरह फ्लोर टेस्ट किया जा सकता है। अगर फ्लोर टेस्ट में पक्ष तथा विपक्ष दोनों पार्टियों को बराबर बहुमत मिलता है तो विधानसभा स्पीकर अपने पसंद से वोट करवा कर किसी एक पार्टी की सरकार बनवा सकती है। वोटिंग होते समय पहले मौजूद सभी विधायकों से मत देने के लिए कहा जाता है और इसके बाद विधायकों को पक्ष तथा विपक्ष में बंटने के लिए कहा जाता है। इसके बाद दोनों पार्टियों के विधायकों की गिनती की जाती है, विधायकों की गिनती होने के बाद स्पीकर फ्लोर टेस्ट परिणाम की घोषणा करता है।

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