कोरोना महामारी को लेकर अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप चीन और वर्ल्ड हेल्थ ऑर्गेनाइजेशन से नाराज चल रहे हैं। ट्रम का कहना है कि चीन ने वास्तविक जानकारी छुपाई और इस काम में उसका साथ डब्ल्यूएचओ ने दिया है। इसी को लेकर अब ट्रंप ने डब्ल्यूएचओ प्रमुख टेड्रोस एडनम को पत्र लिखा है।
अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने लिखा कि हमारे द्वारा जांच में पाया गया है कि डब्ल्यूएचओ ने चीन की तरफ से मिली खुली छूट की वजह से कोरोना महामारी को लेकर चेतावनी बहुत देर में दी। इसी को लेकर 14 अप्रैल 2020 को अमेरिका में विश्व स्वास्थ्य संगठन को फंडिंग पर रोक लगा दी थी।
पिछले साल दिसंबर 2019 में चीन के शहर वुहान में फैले कोरोनावायरस को लेकर जो रिपोर्ट सामने आई थी, उसे डब्ल्यूएचओ ने नकारा इसमें लानसेट मेडिकल की रिपोर्ट भी शामिल थी। इसके साथ ही डब्ल्यूएचओ ने उन सभी रिपोर्ट्स की जांच नहीं की जो चीन के विरोध में थी। चीन की राजधानी में स्थित डब्ल्यूएचओ का ऑफिस यह जानता था कि वुहान में कोई बड़ी सार्वजनिक बीमारी आने वाली है। चीन की मीडिया ने इस महामारी के बारे में 26 से 30 दिसंबर के बीच बताया। ताइवान में डब्ल्यूएचओ को बताया कि यह बीमारी एक से दूसरे व्यक्ति में फैलने वाली है फिर भी डब्ल्यूएचओ ने पूरी दुनिया से इसको अवगत नहीं कराया।
कोरोनावायरस महामारी को लेकर चीन के डॉक्टर जान्ग योन्गजेन ने अधिकारियों को अवगत कराया था। जब इस पर कुछ दिनों तक कोई कार्यवाही नहीं हुई तो डॉक्टर ने सोशल मीडिया के माध्यम से सभी को जानकारी देनी चाही फिर चीन ने 11 जनवरी को जान्ग की लैब बंद करा दी। इस पर भी डब्ल्यूएचओ कुछ नहीं बोला।
30 जनवरी 2020 को डब्ल्यूएचओ ने बीमारी को पब्लिक हेल्थ इमरजेंसी घोषित किया और 11 मार्च को इस बीमारी को महामारी घोषित किया। लेकिन तब तक बहुत देर हो चुकी थी और यह वायरस 114 देशों में एक लाख से ज्यादा लोगों को संक्रमित कर चुका था। डब्ल्यूएचओ द्वारा दी गई जानकारी या तो गलत थी या तो पूरी नहीं थी।” इसके साथ ही ट्रंप ने कहा कि राष्ट्रपति होने के नाते मेरी यह जिम्मेदारी बनती है कि अगर अगले 30 दिनों में डब्ल्यूएचओ ने कोई ठोस कदम नहीं उठाया तो अमेरिका पूरी तरह से फंडिंग पर रोक लगा देगा।