लॉक डाउन से सबसे ज्यादा गरीब परिवार, मजदूर और कामगार प्रभावित हैं। खासकर वे जो अपने घर से दूर देश के अलग-अलग राज्यों में रोजी रोटी कमाने के लिए गए हुए थे। लॉक डाउन के पहला चरण तो जैसे-तैसे इन्होंने काट लिया। लेकिन जब सरकार ने दूसरे चरण की घोषणा की तो इन लोगों के लिए एक मुसीबत सामने खड़ी हो गई। जिसके बाद कामगारों मजदूरों आदि ने अपने घर पहुंचने के लिए पैदल, साइकिल और रिक्शा से यात्रा करना शुरू कर दी।
इन सब की परेशानी को समझते हुए उत्तर प्रदेश ने सबसे पहले सभी प्रवासियों को घर पहुंचाने के लिए बसों की व्यवस्था की। अब तक लाखों श्रमिक और मजदूर देश के अलग-अलग हिस्सों से प्रदेश वापस लाए जा चुके हैं और बाकियों को अब स्पेशल ट्रेनों के द्वारा लाया जा रहा है। कोटा से भी 10000 छात्र-छात्राओं को वापस लाया गया है। राज्य में वापस आने के बाद सरकार बसों के द्वारा इनको घर तक पहुंचाने की व्यवस्था की है।
जो लोग देश के अलग-अलग हिस्सों से प्रदेश वापस आ रहे हैं। उनको पहले सरकार 14 दिनों के लिए क्वॉरेंटाइन करेंगी। यदि उनमें कोरोना का कोई लक्षण नहीं मिलता है तो उन्हें एक हजार रुपए व राशन किट देकर घर के लिए रवाना किया जाएगा और उन्हें दोबारा होम क्वॉरेंटाइन करने की व्यवस्था की जाएगी।
पूल टेस्टिंग करने वाला पहला राज्य यूपी
पूल टेस्टिंग की शुरुआत करने वाला पहला राज्य उत्तर प्रदेश है। इस टेस्ट के माध्यम से एक बार में 5 लोगों की जांच की जा सकती है। इसके साथ ही उत्तर प्रदेश में पहले 1 दिन में 50 टेस्ट हो पाते थे और अब इसकी संख्या बढ़ाकर 5000 कर दी गई है। कोरोनावायरस से निपटने के लिए लेवल वन 2 और 3 के अस्पतालों में 52000 बेडों की व्यवस्था पहले से ही कर दी गई है।