उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ के कैसरबाग चौराहे पर उस वक्त भगदड़ मच गई। जब चौराहे पर दो सांड आपस में भिड़ गए। उन दोनों सांडो को भिड़ता देख लोग घबरा गए। दोनों सांड काफी तेजी से भिड़ रहे थे। दोनों को काबू करना किसी के बस की बात नहीं थी। सभी राहगीर दोनों सांडो को भिड़ता देख अपने अपने बचाओ की कोशिस करने लगे। इसी दौरान काफी लोगो को चोट भी लग गई।
इतने में देखते ही देखते दोनों सांड ने आपस में भिड़ते हुए पूड़ी दुकानदार का ठेला पलटा डाला। जिससे ठेले वाले का काफी नुकसान हो गया। चौराहे पर हड़कंप मच गया। इस हादसे में आधा दर्जन से अधिक दो पहिया वाहन छतिग्रस्त हो गए। कई लोग चोटिल भी हो गए। इतना ही नहीं दोनों सांड आपस में लड़ते लड़ते पास की दवा की दुकान में घुसे गए। दवा व्यापारी का नुकसान हो गया।
अब इस पर सवाल यह उठता है की इन नुकसान का भुगतान कौन करने आएगा? क्या इन आवारा जानवरो का कोई ठिकाना नहीं है ?आखिर आम जनता को ही क्यों झेलना पड़ता है ये सब ?इस घटना को लेकर कई तरह के ऐसे सवाल है जिसका जवाब किसी के पास नहीं है। वह ठेले वाले जो छोटी मोटी दुकान ठेला लगाकर अपना जीवन यापन कर रहे है। आखिर इसमें उनकी या गलती थी ? यदि सरकार ने इन आवारा जानवरो के लिए गौशाला बनवाई है,तो वहाँ कौन रह रहा है इंसान ?