उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ में योगीराज होने के बावजूद भी पैसे देकर लोग अपना काम कराने में सक्षम है, जो हमारे देश की सबसे बड़ी विडंबना है। जानकारी से पता चला है की लोगो पर बने इन नए ट्रैफिक रूल्स का कोई प्रभाव नहीं पड़ा है। आज भी लोग दिनदहाड़े अपना काम कराने के लिए पैसो का सहारा ले रहे, जिसे हमारी सुरक्षा के लिए बनाये गए पुलिस कर्मी ही सहयोग दे रहे है। देश में योगीराज के चलते इन ट्रैफिक पुलिसकर्मियों की मनमानी से ही इन लोगो को बढ़ावा मिल रहा है, जो की देश की उन्नति का सबसे बड़ा दुश्मन है।
राजधानी लखनऊ के क्षेत्र मावड़िया थाना के अंतर्गत भिटौली पुलिस चौकी सीतापुर रोड, लखनऊ के बगल में स्थित ट्रैफिक पुलिस की चौकी है, जहाँ के ट्रैफिक पुलिसकर्मी दिन दहाड़े लूट मचाते हुए भ्रष्टाचार फैला रहे है। इन पुलिसकर्मीयो को सिर्फ अपनी जेब भरने से मतलब रहता है। फिर चाहे किसी की जान जाये या कोई बड़ा हादसा हों।
ये पुलिसकर्मी हेलमेट न होने पर या फिर गाड़ी के कागज ना होने के बावजूद अपनी जेब भरते है और उन लोगो को छोड़ देते है। इनकी मनमानी सिर्फ यहीं नहीं ख़त्म होती है, ये तो जहाँ नो एंट्री प्रातः 8:00 बजे से रात 8:00 बजे तक लगाई जाती है वहां भी ये लोगो से अपनी जेब भरकर जाने देते है। ट्रैफिक पुलिसकर्मियों की जेब भरकर लोग धड़ल्ले से नो एंट्री में भारी वाहन ले जा पाते है।
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दिनांक 27.09.2019 को सुबह करीब 10:30 बजे अशोक लीलैंड कंपनी की एक डीसीएम जो की त्रिपाल से ढकी हुई थी, जिसका नंबर UP11BT2550 है। यह गाड़ी नो एंट्री ज़ोन की तरफ चलती जा रही थी जिसे ट्रैफिक पुलिसकर्मी ने रुकने का इशारा दिया। यह डीसीएम भिटौली अंग्रेजी शराब की दुकान के आगे रूकी। जिसके बाद ट्रैफिक पुलिसकर्मी ड्राइवर को अपने साथ साइड में ले जाकर डील सेट करने के बाद अपनी जेब भरकर डीसीएम को जाने देता है। पुलिसकर्मी ना तो उसका चालान कटता है और ना ही उस पर कोई जुर्माना लगाता है।
ये सब देश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के ट्रैफिक पुलिसकर्मियों का काला कारनामा है। इस बात पर जनरक्षा पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष दुर्गेश सिंह चौहान ने आरोप लगाया कि इस मोटी काली कमाई का बड़ा हिस्सा योगी आदित्यनाथ व भाजपा नेताओं को भी जाता है इसकी सीबीआई द्वारा जांच होनी चाहिए।