चीन से पूरी दुनिया में फैले कोराना वायरस का खौफ फैला हुआ है। जानलेवा कोराना वायरस से पूरी दुनिया में 80 हजार से ज्यादा लोग संक्रमित हैं और 27 हजार से ज्यादा लोगों की मौत हो गई है। इस बीमारी से हाहाकार मचने से हर कोई दहशत में हैं। कोरोनावायरस पर काबू पाने के लिए कई डॉक्टर्स, विशेषज्ञ और वैज्ञानिकों की टीम जुटी हुई है।
सूत्रों के मुताबिक, कोरोना वायरस के इन्फेक्शन की रोकथाम और मरीजों के इलाज के लिए कई डॉक्टर्स ने चीन की पारंपरिक दवाइयों का इस्तेमाल किया है। हालांकि ये दवाइयां कोरोना वायरस से पीड़ित लोगों के लिए काफी हानिकारक भी साबित हुई हैं। वहीं इस मामले में राष्ट्रीय पारंपरिक दवाई प्रबंधन विभाग का कहना है कि अभी तक कोरोना वायरस से पीड़ित करीब 60 मरीजों पर चीन की पारंपरिक दवाइयों का उपयोग किया गया है। दवाइयों से मरीजों की सेहत में सुधार हुआ है और परिणाम काफी अच्छा आया है।
चीनी विज्ञान और तकनीक मंत्रालय के उप मंत्री शू नान पींगने इस बारे में बताया कि नए कोरोना वायरस संक्रमण के मरीजों के इलाज में चीनी पारंपरिक दवाइयों का सकारात्मक परिणाम मिला है। अब नए कोरोना वायरस संक्रमण इलाज योजना में पारंपरिक दवा भी शामिल कर ली गई है।
चीनी पारंपरिक चिकित्सा के प्रशासन विभाग के उप प्रधान यू यैन हूंग ने बताया कि पारंपरिक चिकित्सा के इस्तेमाल से कोरोना वायरस से कम प्रभावित मरीजों की सेहत में सुधार दिखाई दे रहा है। गंभीर रोगियों के इलाज में उनकी स्थिति पहले से अधिक गंभीर नहीं हो पाई है। पारंपरिक चिकित्सा और आधुनिक मेडिसन के मिले-जुले इस्तेमाल से नए कोरोना वायरस से संक्रमण रोगियों के इलाज में मनमुताबिक़ नतीजे मिले हैं।
आपको बता दें, इस जानलेवा कोराना वायरस के फैलने का कारण चीन के लोगों का किसी अजीबोगरीब जानवर को खाना बताया जा रहा है। गौरतलब है चीन के लोग बड़ी मात्रा में सभी तरह के जीव-जतुंओं को खाते हैं। वहीं चीन के वुहान शहर में समुद्री जीवों का मांस बेचने का एक बड़ा मार्केट भी है। माना जा रहा है सबसे पहले वुहान शहर में ही कोराना का पहला मामला सामने आया, जिसके बाद इस खतरनाक वायरस ने हजारों लोगों को अपनी चपेट में ले लिया है। अब चीन की सरकार अपने नागरिकों को मासांहार की जगह शाकाहार यानी सब्जियां, फल खाने की सलाह दे रहा है।
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