छत्तीसगढ़ के इंदिरा कला संगीत विश्वविद्यालय (IKVS) का 14 अक्टूबर को स्थापना दिवस है। खैरागढ़ रियासत के 24वें राजा विरेन्द्र बहादुर सिंह तथा रानी पद्मावती देवी ने अपनी राजकुमारी “इन्दिरा” के नाम पर उनके जन्म दिवस के दिन 14 अक्टूबर 1956 को इस विश्वविद्यालय की स्थापना की थी।
इंदिरा कला संगीत विश्वविद्यालय का इतिहास
राजकुमारी को संगीत का शौक था लेकिन राजकुमारी की बचपन में ही मृत्यु हो गई थी जिसके बाद राजा और रानी ने राजकुमारी के शौक को शिक्षा का रूप देकर अमर कर दिया। शुरू में इन्दिरा संगीत महाविद्यालय के नाम से इस संस्था को केवल दो ही कमरों के एक भवन में चालु किया गया जिसमें सिर्फ 4 से 6 विद्यार्थी एवं तीन अध्यापक हुआ करते थे इस संस्था के बढ़ते प्रभाव और लगातार छात्रों की वृद्धि से रानी ने इसे अकादमी में परिवर्तित का फैसला किया और फिर यह संस्था इन्दिरा संगीत अकादमी के नाम से प्रसिद्द हुई साथ ही एक बड़े भवन की व्यवस्था की गई जिसमें कमरों की संख्या भी अधिक थी।
इसी बीच राजा व रानी मध्य प्रदेश राज्य के मंत्री बनाये गये तब उन्होंने इसे एक विश्वविद्यालय का रूप दिए जाने का प्रस्ताव तत्कालीन मुख्यमंत्री पं. रवि शंकर शुक्ल के सामने रखा जिसको उन्होंने मान लिया और सभी औपचारिकताऐं पूरी करने के बाद राजकुमारी इन्दिरा के जन्म दिवस के दिन इस इन्दिरा कला संगीत विश्वविद्यालय की स्थापना कर दी गई। इसका उद्घाटन इन्दिरा गांधी ने स्वयं खैरागढ़ आकर किया और विश्वविद्यालय के प्रथम कुलपति के रूप में कृष्णक नारायण रातन्ज नकर को नियुक्त कर दिया। ललित कला के क्षेत्र में यह एक अनोखा प्रयास था। इस विश्वविद्यालय के लिए राजा तथा रानी ने अपना महल “कमल विलास पैलेस” दान में दे दिया था।
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विभिन्न देशों के छात्र यहाँ लेते है प्रवेश
यह विश्वविद्यालय आज भी इसी भवन से चल रहा है और यहां ललित कलाओं के अंतर्गत गायन, वादन, नृत्य, नाट्य तथा दृश्य कलाओं की पढाई होती है। साथ ही हिन्दी साहित्य, अंग्रेजी साहित्य तथा संस्कृत साहित्य विषय भी उपलब्ध हैं। इस विश्वविद्यालय में प्राचीन भारतीय इतिहास तथा संस्क़ति एवं पुरातत्व विभाग भी एक महत्वपूर्ण विभाग है। साथ ही साथ एक संग्रहालय जिसमें विभिन्न कालों की मूर्तियां तथा सिक्कों को रखा गया है।
भारत के विभिन्न राज्यों के अलावा कई देशों जैसे श्रीलंका, थाईलैण्ड, अफगानिस्तान आदि से भी बड़ी संख्या में संगीत की शिक्षा ग्रहण करने हर साल छात्र प्रवेश लेते हैं। साथ ही विश्वविद्यालय द्वारा राष्ट्रीय व अंतर्राष्ट्रीय सेमीनार, वर्क शॉप, सांस्कृतिक कार्यक्रम आदि का आयोजन किया जाता है जिसमे संस्क़ति मंत्रालय सहयोग करता है। इन कार्यक्रमों में देश-विदेश के मुख्य कलाकार, विद्वान, विषय विशेषज्ञ तथा संगीताचार्य अपने वक्तव्य एवं संगीत से संबंधित ज्ञान विश्वविद्याल के विद्यार्थियों को सिखाते हैं।
इस विश्वविद्यालय का शिक्षा संकाय
इंदिरा कला संगीत विश्वविद्यालय में संगीत संकाय (हिन्दुस्तानी गायन तथा वादन और कर्नाटक गायन तथा वादन), नृत्य संकाय (कत्थक, भरतनाट्यम्, ओडिसी), लोक संगीत संकाय, दृश्यकला संकाय (चित्रकला, मूर्तिकला तथा छापाकला), हिन्दी विभाग, संस्कृत विभाग, अंग्रेजी विभाग, म्यूजिकोलॉजी, प्राचीन भारतीय इतिहास आदि विभाग मौजूद हैं। इन सभी विभागों में डिप्लोमा स्तर की शिक्षा से लेकर पीएचडी व डीलिट् तक शिक्षा की व्यवस्था है और अध्ययन करेने के लिए एक बहुत बड़ी लाइब्रेरी बानी हुई है जिसमें हजारों की संख्या में किताबें, ऑडियो, विडियों का संग्रह मौजूद है।