ऐसे कम हो सकती है अन्न दाता की मुश्किलें, पढ़ें पूरी जानकारी

आज हमारे देश में आये दिन किसानों की आत्महत्याओं की संख्या बढ़ती जा रही है। आखिर ऐसा क्यों हो रहा है। जबकि हमारा भारत देश कृषि प्रधान देश माना जाता हैं। जिस देश में कृषि की अधिकता हो और कृषि ही देश की ताकत हो उसी देश में कृषि का पालन पोषण करने वाले किसानों की आत्महत्याएं बढ़ रही हैं यह बात बहुत ही शर्मनाक है। किसान देश की वह ताकत है जिन पर हमारा देश निर्भर है यदि किसान खेती करना बंद कर दे तो देश भुखमरी का शिकार हो जायेगा।

किसानों के लिए खेती का खर्च लगातार बढ़ता जा रहा है लेकिन किसान की आमदनी कम होती जा रही है। छोटे किसान आर्थिक रूप से कमजोर होने के कारण कर्ज के दुष्चक्र में पड़े है। किसानों का कहना है कि अनाज की वास्तविक कीमतें किसानों को नहीं मिलती और उन्हें कृषि सम्बन्धी कंपनियों से काफी महंगे बीज और खाद खरीदने होते हैं । किसानो के मुताबिक़ बीज को खरीदने में कई किसान गहरे कर्ज में डूब जाते हैं। जब फसल की सही कीमत नहीं मिलती है तो उन्हें आत्महत्या कर लेना एकमात्र विकल्प नजर आता है।

किसान की आत्महत्या के बाद पूरा परिवार उसके असर में आ जाता है। बच्चे स्कूल छोड़कर खेती-बाड़ी के कामों में हाथ बँटाने लगते हैं। परिवार को कर्ज की विरासत मिलती है और इस बात की आशंका बढ़ जाती है कि बढ़े हुए पारिवारिक दबाव के बीच परिवार के कुछ अन्य सदस्य कहीं आत्महत्या ना कर बैठें।

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किसान हमारे अन्नदाता है। उनकी आत्महत्या पूरे राष्ट्र के लिए शर्म की बात है। देश की केंद्र सरकार तथा राज्य सरकारों को किसानों की आत्महत्या रोकने के लिए बड़े स्तर पर प्रयत्न करने की आवश्यकता है। भारत जैसे कृषि प्रधान देश में यदि किसानों की ऐसी अवस्था हो तो हमारी प्रगति और विकास की सारी बातें, हमारी सारी उपलब्धियाँ किसी काम की नहीं है। देश के अर्थशास्त्रियों, देश की सरकार को सबसे पहले किसानो पर पूरा ध्यान केन्द्रित करना चाहिए।

सरकार को इस मुद्दे के मूल कारण का निदान करने के लिए अब और बिना समय खोए उचित कदम उठाना जरूरी है। उन्हें नई कल्याणकारी योजनाएं पेश करनी चाहिए। जो किसानों को उनकी फसल के लिए अच्छी आधार मूल्य प्राप्त करने में मदद कर सकती है। खेती के लिए ब्याज मुक्त ऋण उपलब्ध करना चाहिए।

किसानो के लिए सरकार की योजनाएं

  • फसल बीमा योजना

कृषि मंत्रालय के मुताबिक फसल बीमा योजना के तहत 2016 से अब तक देश भर में किसानों को 47,600 करोड़ रुपये के क्लेम का भुगतान किया गया।

  • कृषि में मशीनीकरण

खेती तभी तरक्की करेगी जब इसमें मशीनों का इस्तेमाल होगा। कृषि मंत्रालय के मुताबिक 2016 से 2019 के दौरान देश भर में किसानों को 29,54,484 मशीनों का वितरण किया गया, जबकि 2010 से 2014 के दौरान सिर्फ 10,12,904 मशीनों का ही वितरण हुआ था। मशीन बैंक बनाने के लिए सरकार 40 फीसदी सब्सिडी दे रही है।

  • राष्ट्रीय कृषि बाजार योजना

सरकार ने अब तक देश की 585 मंडियों को ई-नाम (राष्ट्रीय कृषि बाजार योजना) के तहत जोड़ दिया है। ई-नाम एक इलेक्ट्रॉनिक कृषि पोर्टल है। जो पुरे भारत में मौजूद कृषि उत्पाद विपणन समितियों को एक नेटवर्क में जोड़ने का काम करती है। इसका मकसद सभी कृषि उत्पादों को एक बाजार उपलब्ध करवाना है।

  • स्वायल हेल्थ कार्ड

खेती की सेहत कैसी है उसमें किस खाद की जरूरत है और किसकी नहीं, अगर किसान को यह बात पता चल जाए तो खादों का इस्तेमाल कम हो जाएगा। फसल अच्छी होगी। इसलिए सरकार ने स्वायल हेल्थ कार्ड की योजना शुरू की। 2015 से 2017 तक 10।73 करोड़ और 2017 से 2019 तक 10।69 करोड़ स्वायल हेल्थ कार्ड बांटे गए।

  • जैविक खेती

रासायनिक खादों से पैदा होने वाले अनाज और साग-सब्जियों से लोगों की सेहत खराब हो रही है। इसलिए सरकार ने जैविक खेती को बढ़ावा देने के लिए परंपरागत कृषि विकास योजना शुरू की। इसके तहत जैविक खेती को इतना प्रोत्साहित किया जा रहा है कि इस क्षेत्र में अच्छा करने वाले किसानों को पद्मश्री से नवाजा गया। कृषि मंत्रालय के मुताबिक इस समय देश में 27.10 लाख हेक्टेयर क्षेत्र में जैविक खेती हो रही है।

  • प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि स्कीम

आजादी के बाद पहली बार किसी सरकार ने किसानों के बैंक खातों में सीधे पैसा भेजने की शुरुआत की। देश के 14।5 करोड़ किसानों को सालाना छह-छह हजार रुपये खेती-किसानी के लिए मिल रहे हैं। 87,000 करोड़ रुपये की बड़ी राशि सीधे किसानों के अकाउंट में जा रही है। प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि स्कीम के तहत अब तक 5,41,42,319 किसानों के अकाउंट में पहली और दूसरी किस्त का पैसा भेजा जा चुका है।

सरकार किसानों की सुविधा के लिए अपने स्तर से बहुत सारे प्रयास करती है जिनका लाभ उठा कर किसान एक खुशहाल जीवन यापन कर सकतें हैं। लेकिन दुःख की बात ये है की हमारे देश के छोटे किसान सरकार की योजनाओं से अनभिज्ञ रहते है और इसी अज्ञानता का फायदा देश के बड़े और भ्रष्ट लोग उठा लेते है । किसानो को उनका हक़ नहीं मिल पाता। सरकार को चाहिए की इन सभी योजनाओं का लाभ सीधे किसानो को उनके हाथों में ही दे जिससे किसान अपनी योजनाओं का लाभ उठा सके और अपने परिवार का साथ खुशहाल जीवन जी सकें ।

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