उत्तर प्रदेश में जहाँ सरकार लगातार पराली जलाने की घटनाओ को कम करने के लिए तरह तरह के कानून बना रही है। वही किसान लगातार पराली जलाते हुए नजर आ रहे है। सरकार की लाख कोशिशों के बाद भी पराली जलने की घटनाये कम नहीं हो रही है। कुछ लोग है जो हमारी स्वच्छ वायु को प्रदूषित करने में लगातार लगे हुए है। इस तरह से पराली जलाने के कारण वायु प्रदूषित होती है। और इसका असर पुरे भारत पर होता है। हमारे प्रदेश के कुछ शहर ऐसे है जहाँ अभी भी लोगो को बढ़ते प्रदूषण के कारण साँस लेने में परेशानी हो रही है। इस तरह के बढ़ाते वायु प्रदूषण को कम करने के लिए ही सरकार ने पराली जलाने से मना किया था।
जानकारी के मुताबिक बता दे की उच्चतम न्यायालय के आदेषों के क्रम में शासन द्वारा दिये गये निर्देषों के बावजूद प्रदेष के कुछ जिलों से पराली के अवषेष जलाएं जाने की घटनाएं लगातार सामने आ रही है। उन पर नियंत्रण नही हो पा रहा है।इसके चलते मुख्य सचिव अवनीष कुमार अवस्थी ने जानकारी देते हुए बताया है कि शासन द्वारा इसे अत्यन्त गम्भीरता से लेते हुए कड़ा रूख अपनाया गया है।उन्होंने कहा की सभी जिलों को दोबारा से निर्देष दिये गये है कि
यदि पराली व अन्य अवषेष जलाने की कोई भी घटना सामने आने पर इसे गम्भीरता से लिया जायेगा। तथा इस संबंध में पुलिस अधिकारियों का भी उत्तरदायित्व निर्धारित करते हुए सभी से 20 नवम्बर तक रिर्पोट शासन द्वारा मांगी गयी है।
बता दे की जिला प्रशासन की सख्ती के बावजूद पराली जलाने पर रोक नहीं लग पा रही है। पराली जलाने की रोकथाम की कमान खुद डीएम वैभव श्रीवास्तव ने संभाल रखी है। डीएम ने अधिकारियों के साथ ग्रामीण इलाकों का भ्रमण कर पराली के हालात देखे। पराली जलाने पर रोक न लगने के चलते डीएम ने पूरनपुर एसडीएम और तहसीलदार का स्पष्टीकरण तलब किया गया है। पूरनपुर में पराली जलाने में रोक न लगाने पर पांच लेखपाल निलंबित कर दिए गए हैं।