राजधानी दिल्ली के शाहीन बाग़ में नागरिकता संशोधन कानून तथा राष्ट्रीय नागरिकता रजिस्टर को लेकर अभी भी प्रदर्शन किया जा रहा है। देश भर में कोरोना वायरस (Covid-19) जैसी महामारी का प्रकोप जारी है और ऐसे में शाहीन बाग़ के प्रदर्शनकारियों ने सरकार से अपने लिए भी चेहरे के मास्क तथा हैंड सैनिटाइज़र्स की मांग किया है। ये प्रदर्शनकारी 15 दिसंबर 2019 से लगातार प्रदर्शन कर रहे हैं और सीएए व एनआरसी को रद्द करने की मांग कर रहे हैं।
शाहीन बाग़ के प्रदर्शनकारियों ने सरकार से मांग किया है कि प्रदर्शन स्थल पर स्क्रीनिंग का इंतज़ाम किया जाए। देश भर में अब तक कोरोना वायरस से प्रभावित 85 से अधिक मामले सामने आ चुके हैं तथा दो लोगों कि मृत्यु भी हो गई है। सुनने में आ रहा है कि यह प्रदर्शनकारी बहुत जल्द ही दिल्ली के दंगों को लेकर एक प्रेस कांफ्रेंस करने जा रहे हैं और इसमें वह कोविड-19 को लेकर भी बातचीत करेंगे। इस समय सैकड़ों की संख्या में शाहीन बाग़ में प्रदर्शनकारी धरने पर बैठे हुए हैं जिनमे ज़्यादातर महिलाएं हैं। यह लोग लगातार तीन महीनों से सीएए व एनआरसी के खिलाफ प्रदर्शनकर रहे हैं।
सेना प्रमुख बिपिन रावत छात्रों द्वारा किये गए हिंसक प्रदर्शनों पर बोले
मीडिया के कुछ रिपोर्टरों ने दावा किया है कि कुछ समय में शाहीन बाग़ में धरना देने वालों की संख्या में कुछ कमी आयी है। मोदी सरकार ने जब 12 दिसंबर को सीएए को पास करवाया था तब से देश भर में इसे लेकर विरोध प्रदर्शनों का सिलसिला शुरू हो गया है जो अभी तक चल रहा है। इस क़ानून के अंतर्गत पकिस्तान, अफगानिस्तान तथा बांग्लादेश से आने वाले सभी हिन्दुओं, सिखों, पारसियों, जैन, बौद्ध तथा ईसाई धर्म के लोगों को भारत की नागरिकता दी जाएगी। अपने देश से प्रताड़ित किये गए उन सभी अल्पसंख्यकों को भारत की नागरिकता दी जाएगी जो 31 दिसंबर 2014 तक भारत में प्रवेश कर चुके हैं।