राजनीति सेवा है या नौकरी

राजनेता अपने भाषण में बहुत ही शान से बोलते हैं की, हम राजनीति करने के लिए नहीं बल्कि देश में जनता की सेवा करने के लिए राजनेता बने हैं। लेकिन एक बात नहीं समझ में आती है की अगर राजनेता जनता की सेवा करने के लिए राजनीति में आते हैं तो उनको वेतन, भत्ता और पेंशन क्यों दिया जाता है। तो चलिए आज हम आपको अपने इस आर्टिकल इसी बात के बारे में बताते है की “राजनीति सेवा है या नौकरी”। यदि राजनीति सेवा है तो राजनेताओं को वेतन, भत्ते और पेंशन क्यों दिया जाता है और यदि राजनीति नौकरी है तो राजनेताओं को भी आम जनता की तरह योग्यता और परीक्षाओं के आधार पर क्यों नहीं चुना जाता है ?

राजनीति सेवा है तो वेतन, भत्ता, पेंशन क्यों

राजनेताओं को वेतन, भत्ता और पेंशन नहीं मिलना चाहिए क्योंकि राजनीति एक सेवा है, यह कोई नौकरी या व्यापार नहीं है। लोक प्रतिनिधित्व अधिनियम के तहत राजनीति एक चुनाव प्रक्रिया है, राजनीति की पुनर्निर्माण प्रक्रिया पर कोई सेवानिवृत्ति नहीं है। इसलिए राजनेताओं को उसी पद या उसी स्थिति में फिर से चुना जा सकता है। यह प्रक्रिया भी समाप्त होनी चाहिए क्योंकि एक ही व्यक्ति को बार-बार मौका नहीं देना चाहिए। दुसरे को भी मौका मिलना चाहिए। सबसे बड़ी बात यह है आम आदमी या आम जनता कितने भी पदों पर काम करे उसको सेवानिवृत्ति होने के बाद एक भी पद की पेंशन नहीं दी जाती। लेकिन हमारे देश के राजनेताओं को सभी पदों के लिए पेंशन दिया जाता है। जैसे अगर कोई राजनेता पार्षद से विधायक और विधायक से सांसद बनता है तो उस राजनेता को तीनों पदों के लिए पेंशन दिया जाता है। यह देश की जनता के साथ बहुत बड़ा अन्याय है। जिस तरह से आम जनता के वेतन पर आयकर लगाया जाता है उसी तरह से राजनेताओं के वेतन को भी आयकर के दायरे में लाया जाना चाहिए। आम जनता के इलाज के लिए सरकारी अस्पताल में भी सुविधाएं नहीं मिलती है लेकिन राजनेताओं का इलाज विदेश में कराया जाता है कितना भी खर्च हो सरकार वहन करती। राजनेताओं का इलाज भी देश में ही होना चाहिए और अगर विदेश में करवाना है तो अपने खर्चे को खुद वहन करें। आम जनता के पैसे से ही राजनेताओं को ऐसी सुविधाएं दी जाती हैं, इसके बावजूद भी जनता के साथ अन्याय किया जाता है। यह एक निंदनीय तथा गंभीरता से विचार करने वाली बात है।

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राजनीति नौकरी है तो योग्यता और परीक्षाएं क्यों नहीं

देश में अलग-अलग विचार के भी लोग रहते हैं, कुछ लोगों का मानना है कि राजनेता देश के लिए काम करते है इसलिए उनको वेतन, भत्ता और पेंशन मिलनी चाहिए। लेकिन देश के लिए आम जनता, एक मध्यम वर्गीय सरकारी कर्मचारी भी काम करता है तो उसके पदों के लिए उसकी योग्यता तथा परीक्षाओं के आधार पर चयन किया जाता है। तो फिर राजनेताओं को उनके पदों के लिए उनकी योग्यता और परीक्षाओं के आधार पर चयन क्यों नहीं किया जाता है। राजनेताओं को भी योग्यता और परीक्षा के आधार पर चयनित किया जाना चाहिए।

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