लॉक डाउन होने के बाद से ही देश के विभिन्न राज्यों में फंसे श्रमिक और कामगार अपने घरों के लिए पैदल, साइकिल या रिक्शा से निकल पड़े थे। इन सभी की परेशानी को देखते हुए ,सरकार ने स्पेशल ट्रेनों का संचालन करने का फैसला किया था। प्रतिदिन स्पेशल ट्रेनों के द्वारा हजारों लोगों को उनके गृह जनपद तक पहुंचाया जा रहा है। लेकिन अब इस पर राजनीति शुरू हो गई है।
Railways is charging only standard fare for this class from State Governments which is just 15% of the total cost incurred by Railways. Railways is not selling any tickets to migrants and is only boarding passengers based on lists provided by States: Railway Ministry Sources https://t.co/TiPKcBBTHZ
— ANI (@ANI) May 4, 2020
स्पेशल ट्रेनों के द्वारा लोगों को उनके घर तक तो पहुंचाया जा रहा है लेकिन उनसे टिकट के पैसे वसूलने को लेकर कांग्रेस सहित अन्य विपक्षी पार्टियों ने केंद्र सरकार और रेल मंत्रालय पर निशाना साधा है। कांग्रेस ने कहा कि गरीब मजदूरों से किराया लिया जाना दुर्भाग्यपूर्ण है। विदेशी यात्रियों को प्लेन से मुफ्त में भारत वापस लाया जाता है और ट्रंप के स्वागत में 100 करोड़ रुपए खर्च किए जाते हैं। जबकि इन गरीब लोगों से पैसे लिए जा रहे हैं। इसलिए अब कांग्रेस इन सभी को घर पहुंचाने का खर्च उठाएगी।
स्पेशल ट्रेनों को लेकर रेलवे ने जो आदेश जारी किया था। इसमें कहा गया था कि “राज्य सरकारें जिन यात्रियों को यात्रा के लिए चुनेंगी। उनको एक अधिकारी द्वारा टिकट दिया जाएगा और वह अधिकारी टिकट का पैसा लेकर रेलवे को देगा। स्पेशल ट्रेनें 500 किलोमीटर दूरी के लिए चलेंगी और एक ट्रेन में लगभग 1200 यात्री सफर कर सकेंगे। इन यात्रियों को मास्क लगाना और सोशल डिस्टेंसिंग का पालन करना होगा।” खबर के अनुसार रेलवे राज्य सरकारों से टिकट की लागत का सिर्फ 15 % पैसा ही ले रहा है।