शिया, सुन्नी वक्फ बोर्ड पर सीबीआई जांच

उत्तर प्रदेश के मुख्यामंत्री योगी आदित्य नाथ ने फिर एक बड़ा फैसला लिया है। योगी सरकार ने शिया सेंट्रल वक्फ बोर्ड और सुन्नी वक्फ बोर्ड द्वारा गलत तरीके से वक्फ संपत्तियों की खरीददारी और अंतरण संबंधी मामलों की शनिवार को सीबीआई से जांच की सिफारिश कर दी। सूत्रों के मुताबिक प्रदेश सरकार द्वारा कोतवाली इलाहाबाद एवं कोतवाली हजरतगंज लखनऊ में मुकदमा दर्ज है। पर पंजीकृत अभियोग तथा उत्तर प्रदेश शिया सेन्ट्रल वक्फ बोर्ड एवं उत्तर प्रदेश सुन्नी सेन्ट्रल वक्फ बोर्ड द्वारा अनियमित रूप से क्रय विक्रय तथा स्थानान्तरित की गयी वक्फ सम्पत्तियों की जांच/विवेचना सीबीआई से कराये जाने का निर्णय लिया गया है। हालांकि पत्र में इस बारे में अभी कुछ पता नहीं है कि कौन-कौन से केस की जांच होगी।

पेंशन मंत्रालय को लिखा गया पत्र

प्रदेश के गृह विभाग ने इस संबध में सीबीआई के साथ-साथ कार्मिक लोक शिकायत एवं पेंशन मंत्रालय को भी पत्र लिखा है।मुख्य सचिव गृह अवनीश कुमार अवस्थी ने बताया कि सचिव कार्मिक एवं प्रशिक्षण विभाग, कार्मिक लोक शिकायत व पेंशन मंत्रालय तथा निदेशक सीबीआइ को पत्र भेजकर शिया-सुन्नी सेंट्रल वक्फ बोर्ड की संपत्तियों में अनियमिता की सीबीआइ जांच की सिफारिश की गई है। उन्होंने बताया की कोतवाली प्रयागराज में वर्ष 2016 में तथा लखनऊ की हजरतगंज कोतवाली में 2017 में अलग-अलग मुकदमे दर्ज कराये गए थे।

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आजम खान को भी माना गया घोटाले का जिम्मेदार

बता दें वक़्फ़ काउंसिल ने अपनी जांच में आजम खान को इस घोटाले के लिए जिम्मेदार पाया था।हालांकि अभी तक दर्ज हुए दोनों ही मामले शिया सेंट्रल वक्फ बोर्ड उत्तर प्रदेश के हैं। सुन्नी वक्फ बोर्ड का कोई मामला दर्ज नहीं है। लेकिन प्रदेश सरकार ने दोनों वफ्फ बोर्ड की जांच कराने का फैसला किया है । जांच के बाद ही तय होगा कि किस तरह की वित्तीय अनियमितताएं और गलत तरीके से खरीद-फरोख्त की गई है । यूपी सरकार ने शिया वक्फ बोर्ड के 6 सदस्यों को भी पद से हटा दिया था। इन सदस्यों में पूर्व राज्यसभा सांसद अख्तर हसन रिज़वी, सैय्यद वली हैदर, अफशा ज़ैदी, सय्यद अज़ीम हुसैन, शासन में विशेष सचिव नजमुल हसन रिज़वी और आलिमा ज़ैदी शामिल थे।

दो मुकदमे बने सिफारिश के मुद्दे

बताया गया है की प्रयागराज कोतवाली में 26 अगस्त 2016 और 27 मार्च 2017 को लखनऊ की हजरतगंज कोतवाली में दर्ज मुकदमों को जांच की सिफारिश का आधार बताया गया है। लखनऊ की हजरतगंज कोतवाली में 27 मार्च 2017 को कानपुर देहात निवासी तौसीफुल हसन की ओर से दर्ज कराई गई एफआइआर में शिया सेंट्रल वक्फ बोर्ड के चेयरमैन वसीम रिजवी, प्रशासनिक अधिकारी गुलाम सैय्यदैन रिजवी, निरीक्षक वकार रजा के अलावा कानपुर निवासी नरेश कृष्ण सोमानी व विजय कृष्ण सोमानी नामजद आरोपित हैं। सीबीआई जांच के लिए भेजी गयी सिफारिश में खरीद-फरोख्त के अलावा दोनों बोर्ड की वित्तीय अनियमितताओं की भी जांच की जाएगी।

बता दें की भेजे गए ये दोनों मामले शिया सेंट्रल वक्फ बोर्ड उत्तर प्रदेश के हैं। सूत्रों के मुताबिक पता चला है की सुन्नी वक्फ बोर्ड का कोई भी मामला नहीं है, लेकिन सरकार ने फैसला किया है। दोनों वक्त बोर्ड की जांच कराने के बाद तय होगा कि किस तरह की वित्तीय अनियमितताएं और गलत तरीके से खरीद-फरोख्त की गई है।

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