राम मंदिर निर्माण के लिए बने ट्रस्ट में सामने आये इनके नाम

PM Modi announced
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अयोध्या में राम मंदिर के निर्माण के लिए भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बुधवार को ट्रस्ट बनाने का एलान कर दिया है। इसके बाद गृहमंत्री अमित शाह ने जानकारी दिया कि इस ट्रस्ट में 15 ट्रस्टी होंगे जिसमे एक सदस्य दलित समाज का रखा जाएगा और इसके 4 घंटे बाद ही ट्रस्ट के 15 सदस्यों के बारे में जानकारी सामने आ गई है। पहले सुनने में आया था कि आचार्य शंकराचार्यों को इस ट्रस्ट के सदस्यों में शामिल किया जाएगा लेकिन मोदी सरकार ने प्रयागराज के ज्योतिष पीठाधीश्वर स्वामी वासुदेवानंद सरस्वती जी महाराज को ही ट्रस्ट में शामिल किया है।

केंद्र सरकार ने इसके अलावा निर्मोही अखाड़े को भी ट्रस्ट में स्थान दिया लेकिन अखाड़े के महंत दिनेंद्र दास को ट्रस्ट की मीटिंग में वोटिंग का अधिकार नहीं दिया गया है।

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ट्रस्ट में शामिल हुए ये सदस्य

  1. के. परासरण
  2. जगतगुरु शंकराचार्य स्वामी वासुदेवानंद सरस्वती जी महाराज
  3. जगतगुरु मध्वाचार्य स्वामी विश्व प्रसन्नतीर्थ जी महाराज
  4. युगपुरुष परमानंद जी महाराज
  5. स्वामी गोविंददेव गिरि जी महाराज
  6. विमलेंद्र मोहन प्रताप मिश्रा
  7. डॉ. अनिल मिश्र, होम्पयोपैथिक डॉक्टर
  8. श्री कामेश्वर चौपाल, पटना
  9. महंत दिनेंद्र दास

ट्रस्ट में केंद्र सरकार द्वारा नामित एक प्रतिनिधि भी रखा जाएगा जो हिंदू धर्म का होगा और केंद्र सरकार के अंतर्गत भारतीय प्रशासनिक सेवा (IAS) का अफसर होगा। यह व्यक्ति भारत सरकार के संयुक्त सचिव के पद से नीचे का नहीं होगा। इसके अलावा यह एक पदेन सदस्य भी होगा।

ट्रस्ट में राज्य सरकार द्वारा नामित एक प्रतिनिधि भी होगा जो हिंदू धर्म का होगा और उत्तर प्रदेश सरकार के अंतर्गत भारतीय प्रशासनिक सेवा का अफसर होगा। यह व्यक्ति राज्य सरकार के सचिव के पद से नीचे नहीं होगा। साथ ही यह एक पदेन सदस्य भी होगा।

अयोध्या जिले के कलेक्टर पदेन ट्रस्टी होंगे और वह हिंदू धर्म को मानने वाले होंगे। अगर किसी वजह से मौजूदा कलेक्टर हिंदू धर्म के नहीं हैं तो अयोध्या के हिंदू धर्म के एडिशनल कलेक्टर पदेन सदस्य होंगे। राम मंदिर विकास और प्रशासन से जुड़े मामलों के चेयरमैन की नियुक्ति ट्रस्टियों का बोर्ड करेगा और उनका हिंदू धर्म से होना ज़रूरी है।

के. परासरण सुप्रीम कोर्ट के वरिष्ठ वकील हैं और इन्होने अयोध्या मामले में नौ साल तक हिंदू पक्ष की पैरवी की थी। इंदिरा गांधी तथा राजीव गांधी सरकार में ये अटॉर्नी जनरल थे। पद्म भूषण और पद्म विभूषण से सम्मानित किया जा चूका है।

प्रयागराज के जगतगुरु शंकराचार्य स्वामी वासुदेवानंद सरस्वती जी महाराज बद्रीनाथ स्थित ज्योतिष पीठ के शंकराचार्य हैं और इनके शंकराचार्य बनाए जाने पर विवाद भी हुआ था। द्वारका पीठ के शंकराचार्य स्वामी वासुदेवानंद सरस्वती ने हाईकोर्ट में ज्योतिष मठ की शंकराचार्य की पदवी को लेकर अर्ज़ी दायर किया था

जगतगुरु मध्वाचार्य स्वामी विश्व प्रसन्नतीर्थ जी महाराज कर्नाटक के उडुपी स्थित पेजावर मठ के 33वें पीठाधीश्वर हैं। पेजावर मठ के पीठाधीश्वर स्वामी विश्वेशतीर्थ के दिसंबर 2019 में निधन के बाद इन्होंने पदवी संभाली है।

युगपुरुष परमानंद जी महाराज अखंड आश्रम हरिद्वार के प्रमुख हैं। वेदांत पर इनकी 150 से ज्यादा पुस्तकें प्रकाशित हो चुकी हैं। वर्ष 2000 में इन्होंने संयुक्त राष्ट्र में आध्यात्मिक नेताओं के शिखर सम्मेलन को संबोधित किया था।

स्वामी गोविंददेव गिरि जी महाराज का जन्म महाराष्ट्र के अहमद नगर में साल 1950 में हुआ था। यह रामायण, श्रीमद्भगवद्गीता, महाभारत और अन्य पौराणिक ग्रंथों का देश-विदेश में प्रवचन करते रहते हैं। ये स्वामी गोविंद देव महाराष्ट्र के विख्यात आध्यात्मिक गुरु पांडुरंग शास्त्री अठावले के शिष्य हैं।

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विमलेंद्र मोहन प्रताप मिश्रा अयोध्या राजपरिवार के वंशज हैं। ये रामायण मेला संरक्षक समिति के सदस्य और समाजसेवी के तौर पर काम करते हैं। इन्होने साल 2009 में बसपा के टिकट पर लोकसभा चुनाव लड़ा था लेकिन इसमें इन्हे हार मिली थी जिसके बाद इन्होंने राजनीति से सन्यास ले लिया था।

डॉक्टर अनिल मिश्र मूलरूप से अंबेडकरनगर के निवासी हैं और अयोध्या के प्रसिद्ध होम्पयोपैथिक डॉक्टर हैं। वे होम्योपैथी मेडिसिन बोर्ड के रजिस्ट्रार भी हैं। राम मंदिर आंदोलन में अनिल मिश्रा ने 1992 में पूर्व सांसद विनय कटियार के साथ महत्वपूर्ण भूमिका अदा की थी। वर्तमान में संघ के अवध प्रांत के प्रांत कार्यवाह भी हैं।

श्री कामेश्वर चौपाल बिहार की राजधानी पटना से एससी सदस्य हैं और संघ ने कामेश्वर को पहले कारसेवक का दर्जा दिया है। उन्होंने साल 1989 में राम मंदिर के शिलान्यास की पहली ईंट रखी थी और राम मंदिर आंदोलन में सक्रिय भूमिका निभाई थी। उन्हें दलित होने की वजह से यह मौका दिया गया है। इन्होने साल 1991 में रामविलास पासवान के खिलाफ लोकसभा चुनाव भी लड़ा था।

महंत दिनेंद्र दास अयोध्या के निर्मोही अखाड़े के अयोध्या बैठक के प्रमुख हैं। ट्रस्ट की बैठकों में उन्हें वोटिंग का अधिकार नहीं दिया गया है।

ये हैं नियम

के. परासरण को छोड़कर अन्य जिन ट्रस्टियों के नाम ऊपर सूची में दिए गए हैं उनकी तरफ से 15 दिन के भीतर सहमति मिल जानी चाहिए। के. परासरण इस दौरान ट्रस्ट स्थापित कर अपनी सहमति दे चुके होंगे। उन्हें ऊपर सूची दिए गए अन्य सदस्यों की तरफ से ट्रस्ट बनने के 15 दिन के अंदर सहमति ले लेनी होगी।

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