अयोध्या मामले पर सुनवाई का पांचवा दिन, नही आ पाया फैसला।

बहुचर्चित मामला अयोध्या जन्म भूमि फैसले को लेकर 7 अगस्त से सुनवाई जारी है और लगातार इसको लेकर दोनों पक्ष अपने अपने तर्क रख रहे है। अयोध्या के रामजन्म भूमि-बाबरी मस्जिद विवाद पर पर पांचवें दिन सुनवाई जारी है। इस मामले में चीफ जस्टिस रंजन गोगोई की अगुवाई में 5 जजों की पीठ रोजाना सुनवाई कर रही है, जिसमें हफ्ते में पांच दिन ये मामला सुना जा रहा है। रामलला विराजमान की तरफ से के. परासरण ने कहा कि इस मामले को किसी तरह से टालना नहीं चाहिए, अगर किसी वकील ने ये केस हाथ में लिया है तो उसे पूरा करना चाहिए। बीच में कोई दूसरा केस नहीं लेना चाहिए। के. परासरण ने अपनी दलीलें पूरी कर दी हैं।

राम लला के लिए एक अन्य वरिष्ठ अधिवक्ता सी एस वैद्यनाथन ने न्यायालय को बताया कि वह इस मुद्दे पर बहस करेंगे कि क्या उस जगह पर कोई मंदिर था जिस जगह पर मस्जिद बनाई गई। वैद्यनाथन ने कहा कि मस्जिद से पहले उस स्थान पर मंदिर था, इसका कोई सबूत नहीं है कि बाबर ने ही वो मस्जिद बनाई थी। मुस्लिम पक्ष ने दावा किया था कि उनके पास 438 साल से जमीन का अधिकार है, लेकिन हाईकोर्ट ने भी उनके इस तर्क को मानने से इनकार कर दिया था।

सुनवाई पूरी होने से पहले अयोध्या में धारा 144 लागू

आपको बता दे कि मामले पर पहले और दूसरे दिन सर्वोच्च अदालत में निर्मोही अखाड़ा और रामलला के वकीलों ने अपने दलील रखी थी। जबकि तीसरे दिन राम लला की ओर से पेश हुए वरिष्ठ अधिवक्ता के. परासरन ने प्रधान न्यायाधीश रंजन गोगोई की अध्यक्षता वाली पांच सदस्यीय संविधान पीठ के समक्ष दलीलें पेश की थी।चौथे दिन मुस्लिम पक्षकारों में से एक की ओर से पेश हुए वरिष्ठ अधिवक्ता राजीव धवन ने हफ्ते में 5 दिन सुनवाई का विरोध किया। सीनियर एडवोकेट आर धवन का कहना है कि अगर हफ्ते में 5 दिन सुनवाई होती है तो यह अमानवीय है और हम अदालत की सहायता नहीं कर पाएंगे। सुनवाई के माध्यम से निष्कर्ष तक नहीं पहुँचा जा सकता और मुझे यह केस छोड़ने के लिए मजबूर होना पड़ेगा।

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