संवाददाता समिति के लोगों ने की आनंदी बेन पटेल से की मुलाकात

उत्तर प्रदेश राज्य मुख्यालय मान्यता प्राप्त संवाददाता समिति का एक प्रतिनिधिमंडल 14 अक्टूबर को अध्यक्ष हेमंत तिवारी के नेतृत्व में राजभवन में राज्यपाल आनंदी बेन पटेल से मिलने गए। राजधानी में मान्यता प्राप्त पत्रकारों की आवास समस्याओं, पत्रकारों पर फर्जी मुकदमें लादे जाने तथा पत्रकारों को समाचार संकलन में होने वाली परेशानियों से बताई।

समिति के अध्यक्ष ने बताया  पत्रकारों पर बढ़ते अत्याचार 

हेमंत तिवारी ने बताया कि कुछ समय से प्रदेश भर में पत्रकारों को समाचार संकलन व प्रकाशन सहित संप्रेषण में प्रशासन की ओर से काफी मुश्किलें आ रही हैं। पत्रकारों को यूपी में रहने से लेकर वेतन भत्तों तक में तमाम परेशानियां झेलनी पड़ रही है। राज्य संपत्ति विभाग की ओर से पत्रकारों को मिलने वाले आवासों में पारदर्शिता व तेजी का अभाव है। पूर्व में जिन पत्रकारों को आवास दिए गए थे उन पर भी नियमों की आड़ में समस्याएं खड़ी कर दी जा रही हैं।

उन्होंने बताया कि मिर्जापुर में मिड डे मील में धांधली को उजागर करने वाले पत्रकार पवन जायसवाल को उलटे पुलिस केस में फंसा दिया गया है। आजमगढ़ में बिना नंबर की स्कार्पियों रखने वाले पुलिस अधिकारी पर खबर दिखाने वाले पत्रकार संतोष जायसवाल पर झूठा मुकदमा दर्ज कर उसे जेल भेज दिया। जबकि बिजनौर में दलित बिरादरी के लोगों का दंबगों के पानी बंद किए जाने की खबर लिखने पर दैनिक जागरण व न्यूज 18 सहित पांच पत्रकारों पर संगीन धाराओं में मुकदमा दर्ज किया। राजधानी लखनऊ में पत्रकार असद रिजवी को मुहर्रम से संबंधित खबर लिखने पर पुलिस ने घर पहुंच कर धमकाया है। इंडिया न्यूज के पत्रकारों पर नोएडा पुलिस ने हमला किया और उन्हें खूब मारा। इसी तरह की कई घटनाएं इन दिनों में प्रदेश भर में हुई।

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अध्यक्ष ने कहा कि यूपी राज्य मान्यता प्राप्त संवाददाता समिति, इंडियन फेडरेशन आफ वर्किंग जर्नलिस्ट सहित सभी पत्रकार संगठन, इन सभी प्रकरणों को लेकर न केवल विरोध दर्ज करा चुके हैं बल्कि सक्षम अधिकारियों से वार्ता कर पत्रकारों का उत्पीड़न रोकने, उनके खिलाफ मुकदमे वापस लेने पर कारवाई करने की मांग कर चुके हैं। दोषियों के खिलाफ अभी तक कोई कारवाई नहीं की गयी है।

मान्यता समिति ने कहा कि राज्यपाल को दिये गये ज्ञापन के माध्यम से हम इस मीडिया की आजादी पर मंडरा रहे संकट को लेकर सरकार से अविलंब कारवाई की अपेक्षा करते हुए आपकी ओर से जरुरी निर्देश जारी किए जाने की आशा करते हैं।

पत्रकारों के लिए किया जाये सुरक्षा कानून लागू

अन्य सभी देश के राज्यों की तर्ज पर यूपी में भी पत्रकार सुरक्षा कानून लागू किया जाए।  पत्रकारों पर झूठे व बदले की भावना से दर्ज मुकदमें शीग्र वापस लिए जाएं, पत्रकारों पर कारवाई करने वाले अधिकारियों पर कारवाई की जाए, प्रदेश व जिला स्तर पर पत्रकारों की स्थाई समिति को पुनर्जीवित करते हुए उसमें मान्यता समिति व अन्य पत्रकार संगठनों के प्रतिनिधियों को शामिल किया जाए। मिर्जापुर में दोषी जिलाधिकारी के खिलाफ अविलंब कारवाई करते हुए पत्रकार पर दर्ज मुकदमा वापस लिया जाए। बिजनौर, आजमगढ़, नोयडा व मेरठ सहित अन्य इस तरह के प्रकरणों में दर्ज मुकदमों को वापस लिया जाए व दोषियों पर कारवाई हो, प्रशासनिक धांधली के मामले सामने लाने वाले पत्रकारों को खतरे की दशा में पर्याप्त सुरक्षा उपलब्ध करायी जाए। 

राजधानी लखनऊ में बड़ी तादाद में पत्रकारों को देखते हुए उन्हें राज्य संपत्ति विभाग के मकान देने की प्रक्रिया में तेजी लायी जाए। जिन पत्रकारों को पूर्व में मकान आवंटन हुए थे उन्हें नियमों की आड़ लेकर परेशान न करते हुए उनके आवंटन बहाल किए जाएं, पत्रकारों के वेतन भत्तों के लिए वेतन बोर्ड की सिफारिशें प्रभावी ढंग से लागू की जाएं, देश के कई अन्य राज्यों की तर्ज पर उत्तर प्रदेश में भी पत्रकारों  को पेंशन दिया जाए। तथा पत्रकारों को पीजीआई की तर्ज पर ही चिकित्सा विश्वविद्यालय व अन्य उच्च संस्थानों में निशुल्क चिकित्सा सुविधा दी जाए। महोदया से निवेदन है कि इस ज्ञापन में उल्लिखित मांगों पर समुचित कारवाई सुनिश्चित की जाए। 

प्रतिनिधि मंडल में मान्यता प्राप्त संवाददाता समिति के उपाध्यक्ष अजय श्रीवास्तव, आकाश शेखर शर्मा, कोषाध्यक्ष जफर इरशाद, संयुक्त मंत्री श्रीधर अग्निहोत्री और तमन्ना फरीदी, सदस्य अनिल सैनी, अंकित श्रीवास्तव, सुरेश यादव, संजोग वाल्टर,दया विष्ट , प्रेस मान्यता समिति के सदस्य  टीबी सिंह तथा अविनाश मिश्रा शामिल थे।

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