परशुराम सेना ने सांसद विनोद सोनकर के विवादित बयान पर जताया आक्रोश

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लखनऊ।भारत एक लोकतांत्रिक देश है। लोकतंत्र की उदारवादी परंपरा में स्वतंत्रता, समानता, अधिकार, धर्म निरपेक्षता और न्याय जैसी अवधारणाओं का प्रमुख स्थान रहा है।लोकतांत्रिक रूप से चुनी हुई।सरकार का नैतिक कर्तव्य है कि वह अपने देश में गृह युद्ध जैसी स्थिति न बनने दें जनता के द्वारा चुने गए प्रतिनिधि राज्यसभा एवम लोकसभा के सदस्य होते है जो जनता की भलाई के लिए कार्य करते है। लेकिन वर्तमान समय में चुने हुए प्रतिनिधि अपने आप को राजनेता मानते हुए राजतंत्र के रूप में कार्य करना चाहते है ।

आज की राजनीति में जनता को मताधिकार तक ही सीमित समझा जाता है और उसके द्वारा चुने हुए प्रतिनिधि अपने सिद्धांतो पर न चलते हुए निजी स्वार्थ साधने लगते है। वर्तमान के चुनाव में दलीय और जातिगत राजनीति ने लोकतंत्र की हत्या करने का कार्य किया है । एक विशेष समाज का संगठन बनाकर सत्ता में आने वाले प्रतिनिधि अपने सिद्धांतों को भूलकर जातिवाद फैलाकर आपस में ही विद्रोह कराना शुरू कर देते हैं । एक टीवी डिवेट में कौशांबी के सांसद विनोद सोनकर ने जिस तरह से ब्राह्मण समाज को टारगेट करके पूरे समाज का उपहास उड़ाने का कार्य किया है जिन्होंने कहा कि घी देख बाभन नरियाय इस मुहावरे को कहने का उनका उद्देश्य था कि ब्राह्मण समाज सत्ता में हर जगह उच्च स्थान पर क्यो है ।

परशुराम सेना के राष्ट्रीय अध्यक्ष प्रदीप शुक्ला एडवोकेट ने कहा कि ब्राह्मण अपने कर्मो से अपनी मेहनत से कोई भी उच्च स्थान प्राप्त करता है ब्राह्मण समाज ने हमेशा सबको साथ लेकर चलने की बात की है । ब्राह्मण समाज के वोटो के दम पर सत्ता का सुख भोगने वाले सांसद विनोद सोनकर को बताना चाहता हूं कि जिस विश्वास और विकास के लिए जनता ने संसद भवन भेजा है वो कौशांबी सांसद की दोहरी मानसिकता को समझ चुके है आने वाले चुनाव में ब्राह्मण समाज इनके घमंड को जमीदोज करके जमानत जब्त कराने का कार्य करेगी।

परशुराम सेना जिला प्रभारी एडवोकेट अनिल पांडेय स्वतंत्र ने कहा कि जो जनप्रतिनिधि इस तरह की कुंठित मानसिकता रखता हो वह निष्पक्ष रूप से जनहित का कार्य भला कैसे कर सकता है जो एक विशेष जाति के मोर्चे का नेतृत्व करता हो।वह सबका साथ सबका विकास कैसे कर सकता है आज इन्होंने ब्राह्मण समाज के बारे में अभद्र टिप्पणी की हैआने वाले चुनाव में छत्रिय समाज वैश्य समाज व अन्य समाज के बारे में भी इनकी जुबान बेलगाम हो सकती है । मै वर्तमान सरकार से मांग करता हूं कि ऐसी मानसिकता के व्यक्ति को संसद में बैठने का कोई अधिकार नहीं और जनता से भी अपील करता हूं कि विनोद सोनकर व इनके जैसी मानसिकता वाले व्यक्ति के लुभावने वादो से बचें इनको संसदीय क्षेत्र से बाहर का रास्ता दिखाएं।

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