उत्तर प्रदेश में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने नागरिकता संशोधन क़ानून (Citizenship Amendment Act) तथा राष्ट्रीय नागरिकता रजिस्टर (National Register of Citizenship) पर हिंसा करने और सार्वजनिक संपत्ति को नुक्सान पहुंचाने वालों से हर्जाना वसूलने के लिए ‘उत्तर प्रदेश रिकवरी फॉर डैमेज टू पब्लिक एंड प्राइवेट प्रापॅर्टी अध्यादेश-2020’ पारित करने का निर्णय लिया है।
Uttar Pradesh Government:After passing Recovery of Damage to Public Properties ordinance for recovery of damage during violent protests, a claim tribunal has been set up. Its decision will not be challenged in any Court.The tribunal shall have right to attach property of accused.
— ANI UP (@ANINewsUP) March 15, 2020
योगी सरकार ने 13 मार्च को शुक्रवार के दिन कैबिनेट बैठक किया था जिसमे यह फैसला लिया गया है। सुनने में आया है कि इस अध्यादेश में हर्जाने की वसूली के अलावा सज़ा का भी प्रावधान रखा जाएगा।
प्रदेश सरकार पहले सीआरपीसी के प्रावधान के अंतर्गत वसूली कर रही थी लेकिन इसमें कुछ परेशानियां हो रही थीं इसीलिए योगी सरकार ने हिंसा करने वालों के होर्डिंग्स भी लगाए थे। इन होर्डिंग्स को लेकर इलाहाबाद हाईकोर्ट ने आपत्ति जताई थी और योगी सरकार को होर्डिंग्स को हटाने का आदेश दिया था। इसके बाद योगी सरकार ने इस मामले को लेकर सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल किया है।
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अभी विधानसभा सत्र शुरू नहीं हुआ है इसीलिए हर्जाना वसूलने के लिए योगी सरकार यह अध्यादेश ला रही है। इसके बाद इस अध्यादेश को विधेयक के रूप में विधानसभा से पास करवाया जाएगा तथा इसको क़ानून की शक्ल दे दी जाएगी।
हाईकोर्ट में दाखिल की गई रिट याचिका 2007 में उच्चतम न्यायालय ने कहा था कि देश में अवैध प्रदर्शनों में के दौरान राजनितिक दलों के आह्वान पर यदि सार्वजनिक व निजी संपत्तियों को कोई नुक्सान पहुँचाया जाता है तो इसमें रिकवरी के लिए अवैध उपद्रवियों से संपत्ति के नुक्सान की भरपाई की जानी चाहिए। इसी के चलते कैबिनेट बैठक में एक प्रस्ताव रखा गया था जिसको सर्वसम्मति से मंज़ूरी दे दी गई है।