NRC अवैध प्रवासियों के लिए ज़रूरी है : सुप्रीम कोर्ट में केंद्र सरकार

Central government in Supreme Court
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राष्ट्रीय नागरिकता रजिस्टर (National Register of Citizenship) को लेकर केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में अपना पक्ष रखा है। सरकार का कहना है कि भारत के भीतर गैर नागरिकों की पहचान करने के लिए एनआरसी का होना आवश्यक है। सरकार की दलील है कि क़ानून के अंतर्गत अवैध प्रवासी की पहचान करके उनको निर्वासित करने की ताकत उसके पास है। सरकार ने राष्ट्रीय जनसँख्या रजिस्टर (National Population Register) की बात किये बगैर कहा कि एक आज़ाद देश के लिए नागरिकों के बीच में रह रहे गैर नागरिकों को पहचानना ज़रूरी है। केंद्र सरकार के लिए यह ज़रूरी है कि वह गैर नागरिकों को पहचान कर कानूनी प्रक्रिया के तहत उनको निष्कासित या निर्वासित करें।

गृह मंत्रालय ने नागरिकता संशोधन कानून (Citizenship Amendment Act), एनआरसी तथा एनपीआर के खिलाफ दायर की गई एक याचिका पर सुप्रीम कोर्ट की तरफ से भेजे गए नोटिस के जवाब में अपने शपथ पात्र में यह जानकारी दिया है। केंद्र सरकार का कहना है कि भारत में रहने के लिए कोई भी अवैध प्रवासी मांग नहीं कर सकता है और ना ही भारतीय नागरिकता के लिए दावा कर सकता है। अवैध प्रवासी ऐसे किसी भी प्रकार के अधिकार या नागरिकता कि मांग को लेकर कोर्ट से भी कोई गुहार नहीं कर सकता है।

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केंद्र सरकार का कहना है कि संविधान के आर्टिकल 21 का दायरा काफी बड़ा है मगर इसमें अवैध प्रवासी भी शामिल हैं। नागरिकता का दावा करने वाले लोगों पर इसको सिद्ध करने की प्रक्रिया उचित व निष्पक्ष है और इसको कोर्ट ने भी सही माना है। सरकार ने बताया कि किसी संबंधित व्यक्ति पर उसके प्रमाण का बोझ डालने की एक बेहतर व ठोस वजह है। किसी भी व्यक्ति को अपनी नागरिकता सिद्ध करने के लिए अपनी जन्मतिथि, जन्मस्थान, उनके अभिभावकों के स्थान व नागरिकता का प्रमाण देने की ज़रूरत पड़ सकती है।

सरकार ने कहा कि यह सभी जानकारी संबंधित व्यक्ति की नीतिगत जानकारियों में होंगे न कि अथॉरिटी के पास। यदि सरकारी अथॉरिटी किसी भी व्यक्ति की नागरिकता के दावे पर आपत्ति जताती है तो उनके लिए इन बिंदुओं के तहत प्रमाण को मना करना नामुमकिन होगा। केंद्र सर्कार के पास ओवरसीज़ इंडियन सिटिज़नशिप कार्ड होल्डर का रजिस्ट्रेशन निरस्त करने की भी ऐसी ही ताकतें हैं। गृह मंत्रालय का कहना है कि यदि ओसीआई कार्ड होल्डर भारत के कानूनों का उल्लंघन करता है तो पक्ष सुन लेने के बाद उसका भी रजिस्ट्रेशन निरस्त हो सकता है।

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