नेपाल लगातार ऐसे कदम उठा रहा हैं। जिसकी वजह से बरसो पुराने भारत के साथ उसके रिश्ते में खटास आ रही है। बिहार नेपाल बॉर्डर पर एक बांध की मरम्मत का कार्य बिहार सरकार को करवाना था। जिसके लिए नेपाल सरकार से अनुमति देने के लिए कहा गया। लेकिन नेपाल ने अनुमति नहीं दी। इसके बाद मरम्मत के कार्य को रोक दिया गया है।
भारत नेपाल बॉर्डर पर लाल बकेया नदी पर इस बांध की मरम्मत का कार्य होना था। जिसके अट्ठारह गेट नेपाल की तरफ से और अट्ठारह भारत की तरफ। समस्या यह आ रही है कि जिस तरफ बाढ़ से निपटने के लिए मरम्मत का सामान रखा है। वह नेपाल की तरह है और वहां पर नेपाल सरकार ने बैरियर लगवा दिए हैं।
अब इस मामले को लेकर जल संसाधन मंत्री विदेश मंत्रालय को पत्र लिखेंगे। जिससे जल्द से जल्द इस समस्या का समाधान हो सके। यदि ऐसा नहीं होता है तो बिहार में बाढ़ आ सकती है। इस पूरे मामले से केंद्र को अवगत करा दिया गया है। अब देखना होगा कि इस पर नेपाल पीछे हटता है या नहीं।
मालूम हो इससे पहले नेपाल ने भारत के कालापानी, लिपुलेख, लिंपियाधूरा को अपना बताया और भारत के आपत्ति जताने के बाद भी अपनी संसद में पेश कर इसे संविधान से जोड़ा। ऐसा पहली बार हुआ है जब नेपाल ने इस तरह के कदम उठाए हैं। जिससे दोनों देशों के बीच तनाव बढ़ता जा रहा है।