उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ के एसएसपी यशस्वी यादव ने 13 मार्च 2015 में साइकिलिंग पुलिस की शुरुआत की थी और इसमें 51 साइकिल खरीदीं गयी थीं। सुनने में ये आया था कि तंग गलियों में इन्हीं साइकिलों के सहारे से पेट्रोलिंग की जायेगी। इससे लखनऊ की पुलिस शहर के हर कोने में आसानी से पहुंच सकेगी और इस योजना से पुलिसकर्मी फिट भी रहेंगे। परन्तु अब खरीदीं गयीं साइकिल कहाँ गयी किसी को नहीं पता। योजना को शहर के तमाम अफसरों समेत सीएम तक ने सराहा था। पर अब ये योजना कहाँ गयी किसी को खबर भी नहीं।
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साइकिल में हूटर, लाइट, डिग्गी के अलावा जीपीएस भी मौजूद
साइकिल पेट्रोलिंग में इतेमाल होने वाली साइकिलों की कीमत करीब 15 हज़ार के करीब थीं। साइकिलों में पुलिसकर्मी की जरूरत की तमाम चीजें मौजूद थीं। जब ये साइकिल खरीदीं गयीं थीं तो इनमें हूटर, लाइट, डिग्गी के अलावा जीपीएस भी लगा था। उसके बाद ये कहा गया था की साइकिल से जब पुलिसकर्मी पेट्रोलिंग करेंगे तो फिट भी रहेंगे। राजधानी में कुछ जगह ऐसी हैं जहां कार नहीं जा सकती तो वहां ये साइकिल जाकर पेट्रोलिंग करेगी। साइकिल पुलिस का आगाज 5 कालिदास मार्ग से हुवा था।
किसी को नहीं है जानकारी इस योजना की
साइकिल पेट्रोलिंग की योजना के अंतर्गत दो लाख खर्च करके 14 रेंजर और 44 नॉर्मल साइकलें खरीदी गईं थीं। और उनमें उपकरण लगवाने पर करीब 50 हजार रुपये खर्च किए गए थे। इस योजना को काफी सराहा गया था और अच्छा माना जा रहा था। लखनऊ के कप्तान बदलने के बाद से इस योजना को ठंडे बस्ते में डाल दिया गया है। इतना ही नहीं साइकलें कहां गई, इसकी भी जानकारी पुलिसकर्मीयों को नहीं है।