महाराष्ट्र में शनिवार सुबह अचानक बीजेपी के नेतृत्व वाली सरकार को शपथ दिलाए जाने के खिलाफ शिवसेना, एनसीपी और कांग्रेस की याचिका पर सुप्रीम कोर्ट सुनवाई की गयी . शिवसेना, एनसीपी और कांग्रेस शनिवार शाम सुप्रीम कोर्ट पहुंची और नई सरकार को 24 घंटे के भीतर बहुमत साबित करने का निर्देश देने की अपील की थी
सुनवाई के दौरान बेंच में शामिल जस्टिस जे रमन्ना ने कहा की गवर्नर किसी को भी अचानक अप्पोइंट नहीं कर सकता, कोर्ट में बहुमत साबित ही करना पड़ेगा. वही भाजपा के पक्ष से दलील रखते हुए मुकुल रोहतगी ने संविधान के अनुच्छेद 360-361 का प्रयोग किया और कहा की राज्यपाल के फैसले कोर्ट में रिव्यु नहीं होते, रोहतगी ने आगे दलीले देते हुए यह भी कहा की राज्यपाल को यह हक़ है की वह किसे मुख्यमंत्री चुने।
शिवसेना-कांग्रेस-एनसीपी की और से दलीले रखते हुए कपिल सिब्बल ने मांग की की जल्द से जल्द फ्लोर टेस्ट करवाया जाये, कोर्ट एक सिमित समय तय करे। मुकुल रोहतगी ने इसका खंडन करते हुए कहा की कोई भी काम इतनी जल्दी नहीं किया जा सकता है, कोर्ट और सदन के काम करने के अपने अपने दायरे है। कुछ घंटो में ऐसे फैसले नहीं लिए जा सकते।
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आगे दलील जारी रखते हुए उन्होंने कहा की अगर सदन पारित कर दे की कोर्ट को 2 साल में सारे केस निपटने होंगे तो यह भी असम्भव है , उसी तरह से यहाँ भी समय देने की जरूरत है।
सभी की दलीलों को सुनने के बाद सुप्रीम कोर्ट ने सभी पक्षों को नोटिस जारी किया
सुप्रीम कोर्ट ने कहा की गवर्नर का आदेश और सभी दस्तावेज कल सुबह तक पेश किया जाये, कब सुबह 10:30 पुन: मामले की सुनवाई होगी कैसे निर्णय लिया गया, कब निर्णय लिया गया, राज्यपाल की मीटिंग कब हुई, कब समर्थन का पत्र सौपा गया, ये सारे दस्तावेज सुप्रीम कोर्ट ने कल की सुनवाई के दौरान मांगे है । अब ऐसे में माना जा रहा है की पार्टियों को पूरा समय मिल गया है, अब देखने वाली बात यह होगी की, इस मिले समय का लाभ किसके पक्ष में जायेगा, क्या बीजेपी अपना बहुमत साबित कर पायेगी, या शिवसेना को मौका मिलेगा। सुनवाई कल फिर होगी.