लोहिया अस्पताल का बजट गिरा, मरीज़ हुए केजीएमसी रेफर

उत्तर प्रदेश में लखनऊ के लोहिया अस्पताल के लोहिया संस्थान में विलय के बाद स्थिति और ख़राब हो गयी। स्वास्थ्य विभाग से लोहिया अस्पताल का बजट रुक गया। हॉस्पिटल ब्लॉक में मुफ्त इलाज का संकट गहरा हो गया है। फार्मेसी डिपार्टमेंट में कई दवाइयों का स्टॉक खत्म हो गया है। ऐसे में मरीज दर-दर भटकने को मजूबर हैं।शुक्रवार से फार्मेसी सेवाएं पूरी तरह से संकट में गई हैं। यहां रुई, सिरिंज से लेकर कई एंटीबायोटिक दवाएं खत्म हो गई हैं।

ग्लव्स स्टॉक हुए खत्म 

लोहिया अस्पताल की फार्मेसी में शुक्रवार को ग्लव्स स्टॉक खत्म हो गया। यहां साइज नंबर 6.5, साइज नंबर 7, साइज नंबर 7.5 ग्लव्स स्टोर में खत्म हो गए। वहीं सिरिंज, रुई, आंख के ऑपरेशन में आवश्यक ब्लेड कीरोटोन नहीं बचा है। प्रोसीजर से पहले डॉक्टरों ने तीमारदारों से ग्लव्स मंगवाए।

हॉस्पिटल में विलय, गंभीर मरीजों के लिए बेड की उपलब्धता का हवाला देकर हुआ था। उसके बाद भी लगातार मरीजों को केजीएमसी रेफर किया जा रहा है। लोहिया से लगातार बाहर की दवाईयां लिखी जा रही हैं। संसाधनों की कमी की वजह से इमरजेंसी चलायी जा रही।

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इमरजेंसी वार्ड के अलावा सभी वार्ड में आधे से अधिक बेड खाली

हॉस्पिटल में 1 रुपये का पर्चा बनता है , लेकिन 500-1000 रुपये प्रति मरीज दवाईयां लिखी जा रही हैं। स्थिति यहाँ तक आ गयी है कि इमरजेंसी में इलाज कराने आओ तो ग्लव्स, कॉटन समेत दवाएं बाहर से लेकर आओ वरना मरीज़ घर वापस ले जाओ। इमरजेंसी वार्ड के अलावा सभी वार्ड में आधे से अधिक बेड खाली रखे हैं।परन्तु मरीज़ों को शिफ्ट नहीं किया जा रहा और इमरजेंसी बेड फुल बताकर सामान्य एवं गंभीर मरीजों को रेफर किया जा रहा। इमरजेंसी में सीनियर और जूनियर रेसिडेंट्स की मनमानी चल रही है। इलाज में लापरवाही के चलते कल ईवनिंग शिफ्ट में हुई 5 मरीजों की मौत।

अस्पताल के निदेशक का बयान 

लोहिया अस्पताल के निदेशक डॉ. डीएस नेगी ने कहा कि अस्पताल को हैंडओवर कर दिया गया है। मैं अब बजट की मांग नहीं कर सकता हूं। लोहिया संस्थान प्रशासन को सेवाओं के सुचारू संचालन के लिए पत्र लिख दिया गया है।

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