तबलीग जमात का मामला सामने आने के बाद मीडिया ने इसकी कवरेज की थी। इसको लेकर उलमा-ए-हिंद ने मीडिया पर मुसलमानों की छवि खराब करने का आरोप लगाया था और कुछ मीडिया चैनल से खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की थी। इसी मामले पर आज सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई हुई और कोर्ट ने इस पर अंतरिम देने से अभी मना कर दिया है। इस मामले की अगली सुनवाई 2 हफ्ते बाद होगी।
जामिया अध्यक्ष मौलाना अरशद मदनी का कहना है कि मीडिया द्वारा तबलीगी जमात की गलत तस्वीर दिखाई जा रही है और ऐसा दिखाने का प्रयास किया जा रहा है कि देश में कोरोनावायरस तबलीगी जमात के लोगों की वजह से आया है। मौलाना असद ने कहा कि कुछ हिंदू नेताओं और मीडिया चैनल्स ने इसकी निंदा करते हुए कहा भी है कि मुसलमानों की छवि ना खराब की जाए। लेकिन लगातार ऐसी रिपोर्टिंग की जा रही है।
तबलीगी जमात मामला
मार्च 2020 में दिल्ली के निजामुद्दीन में तबलीगी जमात का एक धार्मिक कार्यक्रम आयोजित हुआ था। जिसमें दो हजार से ज्यादा मुस्लिम लोग शामिल हुए थे। इस कार्यक्रम में 15 अलग-अलग देशों से भी नागरिक आए हुए थे। लॉक डाउन के दौरान पता चला कि दिल्ली के निजामुद्दीन में सैकड़ों लोग मौजूद हैं। तब पुलिस ने वहां पहुंचकर पूरी हूं बिल्डिंग को खाली कराया जिसमें 2423 लोग निकले थे।
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इनमें से कुछ लोगों को कोरोना वायरस के लक्षण भी थे। जिसके बाद उनके सैंपल लेकर जांच के लिए भेज दिए गए थे और रिपोर्ट आने पर पता चला कि वह कोरोना पॉजिटिव है। इसके बाद हड़कंप मच गया, क्योंकि यह लोग देश के अलग-अलग हिस्सों से आए हुए थे। पुलिस को पता चला था कि यह लोग कई राज्यों का सफर तय कर चुके हैं। इसके बाद इनके संपर्क में आए हुए लोगों को क्वॉरेंटाइन कर दिया गया था। तभी से मीडिया तबलीगी जमात के बारे दिखा रहा था। इसी से नाराज होकर उलमा-ए-हिंद ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की थी।