Kaifi Azmi Birthday: Google ने Kaifi Azmi की 101st जयंती पर बनाया Doodle

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Kaifi Azmi की आज 101वीं जयंती है। इस मशहूर शायर की जन्मतिथि पर आज Google ने Doodle बनाकर महान शायर कैफ़ी आज़मी को याद किया है। दरअसल गूगल अक्सर समाज में अपना योगदान देने वाले लोगों को अपने डडूल के जरिए याद करता है और उनकी जयंती और पुण्यतिथि पर डूडल बनाता हैा। उत्तर प्रदेश के आजमगढ़ में पैदा हुए सैयद अतहर हुसैन रिजवी यानी Kaifi Azmi ने अपने लेखन के जरिए खूब नाम कमाया।

Kaifi Azmi की जानिए कुछ खास बातें

कैफ़ी आज़मी प्रेम की कविताओं से लेकर बॉलीवुड गीत, पटकथा लिखने में माहिर थे। 20वीं सदी के सबसे प्रसिद्ध शायरों में एक कैफ़ी आज़मी ने अपनी पहली कविता 11 साल की उम्र में लिखी थी।Kaifi Azmi उस वक्त 1942 में हुए महात्मा गांधी के भारत छोड़ा आंदोलन से प्रेरित थे।Kaifi Azmi के इस जन्मदिन पर आज हम आपको उनके जीवन से जुडी खास बाते बताने जा रहे है।

शुरू से Kaifi Azmi के घर पर शे’र-ओ-शायरी का था माहौल 

Kaifi Azmi उर्दू के प्रसिद्ध प्रगतिवादी शायर और गीतकार हैं। उनका असली नाम सैयद अतहर हुसैन रिज़वी था। Kaifi Azmi का जन्म आज़मगढ़जिला के मौज़ा मजवाँ गाँव में हुआ था। आपको बता दे की कैफ़ी का ख़ानदान एक ज़मींदार ख़ुशहाल ख़ानदान था। घर में शिक्षा व साहित्य और शे’र-ओ-शायरी का माहौल था। ऐसे माहौल में जब उन्होंने आंखें खोलीं तो आरम्भ से ही उन्हें शे’र-ओ-अदब से दिलचस्पी हो गयी। अपने समय के रिवाज के अनुसार अरबी फ़ारसी की शिक्षा प्राप्त की और शे’र कहने लगे।

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कई भाषाओं का हैं प्राप्त किया ज्ञान 

दरअसल Kaifi Azmi के तहसीलदार पिता उन्हें आधुनिक शिक्षा देना चाहते थे। किंतु रिश्तेदारों के दबाव के कारण कैफ़ी आज़मी को इस्लाम धर्म की शिक्षा प्राप्त करने के लिए Lucknow के ‘सुलतान-उल-मदरिया’ में भर्ती कराना पड़ा। लेकिन वे अधिक समय तक वहाँ नहीं रह सके। उन्होंने वहाँ यूनियन बनाई और लंबी हड़ताल करा दी। हड़ताल समाप्त होते ही Kaifi Azmi को वहाँ से निकाल दिया गया। बाद में उन्होंने लखनऊ और इलाहाबाद विश्वविद्यालय में शिक्षा ग्रहण की और उर्दू, अरबी और फ़ारसी भाषाओं का ज्ञान प्राप्त किया।

Kaifi Azmi ने कई हिट गाने लिखे

Kaifi Azmi ने हिन्दी फिल्मों के लिए भी कई प्रसिद्ध गीत व ग़ज़लें भी लिखीं जिनमें देशभक्ति का अमर गीत -“कर चले हम फिदा, जान-ओ-तन साथियों” भी शामिल है। तथा ये दुनिया ये महफिल मेरे काम की नही –हिट गाना लिखा। भारत-पाकिस्तान के बंटवारे को लेकर जितनी फ़िल्में आज तक बनी हैं, उनमें ‘गरम हवा’ को आज भी सर्वोत्कृष्ट फ़िल्म का दर्जा हासिल है। ‘गरम हवा’ फ़िल्म की कहानी, पटकथा, संवाद कैफ़ी आजमी ने ही लिखी थी।सबसे बड़ी बात तो यह थी कि ‘गरम हवा’ पर कैफ़ी आजमी को तीन-तीन फ़िल्म फेयर अवार्ड दिए गए। पटकथा, संवाद पर बेस्ट फ़िल्म फेयर अवार्ड के साथ ही कैफ़ी को ‘गरम हवा’ पर राष्ट्रीय पुरस्कार भी मिला।

क़ैफ़ी की शायरी की कुछ पंक्तियाँ

इतना तो ज़िंदगी में किसी की ख़लल पड़े
हँसने से हो सुकून ना रोने से कल पड़े

जिस तरह हंस रहा हूं मैं पी-पी के अश्क-ए-ग़म
यूं दूसरा हंसे तो कलेजा निकल पड़े

कोई ये कैसे बताये के वो तन्हा क्यों हैं
वो जो अपना था वो ही और किसी का क्यों हैं

तुम इतना जो मुस्कुरा रहे हो
क्या ग़म है जिस को छुपा रहे हो

तेरी उम्मीद पे ठुकरा रहा हूँ दुनिया को
तुझे भी अपने पे ये ऐतबार है कि नहीं

अपने काम के लिए कैफी आजमी को कई अवार्ड्स से नवाजा गया । इसमें 3 फिल्मफेयर अवार्ड, साहित्य और शिक्षा के लिए प्रतिष्ठित पद्म श्री पुरस्कार और साहित्य अकादमी फेलोशिप सम्मान शामिल हैं । कैफी आजमी की बेटी शबाना आजमी भी एक मशहूर अभिनेत्री हैं। अपनी जिंन्दगी को गानों और शायरी में पिरोने वाले इस मशहूर संगीतकार और शायर ने 10 मई 2002 को हृदयाघात (दिल का दौरा) पड़ने से इस दुनिया से अलविदा कर गए।

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