शुक्रवार को सुबह अमेरिका ने इराक के बाग्दाद् हवाई अड्डे पर एयर स्ट्राइक कर ईरान के क़ुद्स सेना के प्रमुख को मार गिराया। इस हमले में 7 अन्य लोग भी मारे गए है। इस हमले के बाद अमेरिका और ईरान के सम्बन्ध और खराब हो गए है।
4 दशक पुरानी दुश्मनी
Iran America की दुश्मनी आज की नहीं बल्कि आज से 40 साल पहले की है। जब ईरान के प्रधानमंत्री मोहम्मद मोसादक तेल का राष्ट्रीकरण करना चाहते थे पर तेल का अधिकतर हिस्सा अंग्रेजों के कब्जे में था। जिसकी वजह से ईरान के नागरिकों को इसका लाभ नहीं मिल पाता था। ईरान के पीएम को हटाने के लिए उस समय अमेरिका और ब्रिटिश के ख़ुफ़िया विभागों ने मिलकर ईरान के पीएम मोहम्मद मोसादक को हटा दिया और उनकी जगह अमेरिका के समर्थन करने वाले मोहम्मद रेजा प्रधानमंत्री बने।
मोहम्मद रेजा ने सावक नाम के एक पुलिस की सहायता से अपने विरोधियों की आवाज को दबाना शुरू किया। अयातोल्लाह खोमैनी ईरान के पीएम के खिलाफ खड़े हो गए। अयातोल्लाह खोमैनी ने मोहम्मद रेजा की निंदा करना शुरू कर दिया। जिसके कारन उनको देश निकाला दे दिया गया।
ईरानी क्रांति
1979 में ईरान के लोग प्रधानमंत्री मोहम्मद रेजा के खिलाफ खड़े हो गए और पद से स्तीफा देने की मांग करने लगे। इसी बीच अयातोल्लाह खोमैनी ने ईरान में वापसी की और पीएम मोहम्मद रेजा का सख्त विरोध करना शुरू कर दिया इस बार भारी संख्या में ईरान की जनता भी उनके साथ थी। परिणाम स्वरुप मोहम्मद रेजा को देश से बाहर जाना पड़ा और यह अमेरिका के लिए बड़ी समस्या थी। खोमैनी का समर्थन करने वाले कुछ लोगों ने तेहरान में स्थित अमेरिका के दूतावास में घुश गए और 444 दिनों तक अमेरिका के 52 नागरिकों को बंदी बना कर रखा। इससे नाराज अमेरिका ने पहली बार ईरान पर प्रतिबन्ध लगाया।
इराक ईरान युद्ध
इसी बीच 1980 में इराक ने ईरान पर हमला कर दिया। ईरान की अमेरिका से पहले ही नहीं बनती थी, इसलिए अमेरिका ने इराक का साथ दिया। परिणाम स्वरुप 8 साल बाद अयातोल्लाह खोमैनी संघर्ष विराम के लिए तैयार हो गए और युद्ध समाप्त हुआ। इस युद्ध में इराक ईरान के 10 लाख सैनिक मारे गए। उसी साल 1988 में ही अमेरिका ने ईरान के एक यात्री विमान को मार गिराया और माफ़ी न मांगते हुए इसे एक गलती बताया। इस घटना के बाद दोनों देशों में और दुश्मनी हो गयी।
2002 में अमेरिका के राष्ट्रपति जार्ज बुश ने ईरान,इराक,कोरिया को खराब राष्ट्र बताया। इस समय ईरान परमाणु कार्यक्रम पर काम कर रह था। जब अमेरिका को इस बात का पता चला तो दोबरा से ईरान पर कई तरह के प्रतिबन्ध लगा दिए, जिसकी वजह से ईरान की अर्थव्यवस्था कमजोर पड़ने लगी। 2009 में जब बराक ओबामा राष्ट्रपति बने तो कुछ सालों बाद 2015 में ईरान से परमाणु समझौता हुआ और Barak Obama ने ज्वाइंट प्लान ऑफ एक्शन बनाया और ईरान के ऊपर लगे सभी प्रतिबंधों को हटा दिया। इससे ईरान को बड़ी राहत मिली और दोनों देशों के रिश्तों में सुधार आना शुरू हो गया।
ईरान पर प्रतिबंध
3 साल बाद जब अमेरिका के राष्ट्रपति Donald Trump बने तो उन्होंने पूर्व राष्ट्रपति बराक ओबामा द्वारा लाये गए ज्वाइंट प्लान ऑफ एक्शन को रद्द कर दिया और ईरान पर 5 नवम्बर 2018 को फिर से कई तरह के प्रतिबन्ध लगा दिए जैसे:-
➤ ईरान की मुद्रा पर रोक
➤ ईरान को कर्ज देने से रोक
➤ ईरान से सोना,चंडी स्टील,अलुमिनियम और औद्योगिकी पर रोक लगा दी
➤ बंदरगाह के संचालन पर रोक
➤ सेन्ट्रल बैंक ऑफ़ ईरान के साथ लेन-देन पर रोक
और भी कई प्रतिबन्ध अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने लगाए,साथ ही अन्य देशों को चेतावनी भी दी की अगर इसका किसी ने उल्लंघन किया तो उसको भी भारी परिणाम भुगतने होंगे। इतने प्रतिबन्ध ईरान पर लगने के कारण दोबारा से ईरान को भारी नुकसान हुआ और दोनों देशों में फिर दूरी आना शुरू हो गयी।
अमेरिका ने क्यों मारा सुलेमानी को
Sulemani ईरान की रिवॉल्यूशनरी गार्ड्स विदेशी शाखा क़ुद्स के सेना प्रमुख थे। सुलेमानी ने इराक के साथ हुई ईरान की लड़ाई में अहम् भूमिका निभाई थी। साथ ही मध्य पूर्व में सुलेमानी ने ईरान का बहुत प्रभाव बढ़ाया था। इसकी वजह से मेजर जनरल सुलेमानी अमेरिका, सऊदी अरब और इस्राईल जैसे देशों के दुश्मन बन गए और अमेरिका ने सुलेमानी पर प्रतिबन्ध लगा दिया।
ईरान में और ईरान की सीमा के बाहर भी कई नामुमकिन ऑपरेशन को सुलेमानी ने पूरा किया और ईरान के अन्य देशों के साथ रिश्ते अच्छे करने में अहम् भूमिका निभाई थी। इस दौरान कई बार उनको मरने की कोशिश की गयी पर वो सफल नहीं हो पाए और आज शुक्रवार को अमेरिका ने सुलेमानी को मार दिया। ईरान ने अमेरिका के इस हमले की निंदा की और सुलेमानी की मृत्यु पर 3 दिन का राष्ट्रीय शोक घोषित किया है।
पेटांगन ने इस हमले की पुष्टि की है और कहा की डोनाल्ड ट्रम्प के आदेश के बाद ये एयर स्ट्राइक की गयी है। ये हमला इस लिए किया गया है जिससे विदेशों में रहने वाले अमेरिकी नागरिक सुरक्षित रहे और भविष्य में होने वाले ईरान के हमले को रोका जा सके।