Hanuman Chalisa: हनुमान चालीसा पढ़ने से पहले जान ले अर्थ

hanuman chalisa meaning in hindi

हनुमान चालीसा आज तक आपने कई बार पढ़ी और सुनी होगी। लेकिन क्या आप हनुमान चालीसा का हिंदी में अर्थ जानते है ?

अगर नहीं जानते है तो कोई बात नहीं यहाँ आपको हनुमान चालीसा और उसका अर्थ हिंदी में जानने को मिलेगा। जैसा की आप जानते है हनुमान जी को संकट मोचन कहा जाता है। जब कभी भी किसी पर संकट आता है तो वो वीर हनुमान को जरूर याद करता है।

हनुमान जी को याद करने और उन्हें खुश करने का सबसे सरल रास्ता तुलसीदास जी द्वारा लिखित हनुमान चालीसा है। जिसमें हनुमान जी के बचपन से लेकर बड़े तक के किये गए बड़े-बड़े काम और उनकी शक्ति के बारे में बताया गया है। तो आईये जानते है हनुमान चालीसा का अर्थ।

श्री गुरु चरण सरोज रज निज मन मुकुर सुधारी।

 बरनाउॅ रघुवर बिमल जसु जो दायक फल चारि।।

मैं अपने मन रूपी दर्पण को श्री गुरु जी के चरण कमलों की धूलि से पवित्र कर, श्री रघुवीर भगवान के निर्मल यश का गुणगान करता हूं जो धर्म, अर्थ, काम, मोक्ष चारों फलों को देने वाला है।

बुद्धिहीन तनु जानिके सुमिरो पवन कुमार।

बल बुद्धि विद्या देहु मोहि हरहु कलेश विकार।।

हे पवन कुमार मैं आपका स्मरण करता हूं, आप तो जानते ही होंगे कि मेरा शरीर और बुद्धि निर्बल है। मुझे शारीरिक बल और सद्बुद्धि तथा ज्ञान प्रदान कीजिए और मेरे सभी दुखों व दोषों को नष्ट कर दीजिए।

जय हनुमान ज्ञान गुण सागर।

जय कपीस तिहुं लोक उजागर।।

हनुमान जी आपकी जय हो आप ज्ञान और गुण के सागर है। पाताल लोक,
भूलोक और सवर्ग लोक इन तीनों लोकों में आपकी कीर्ति विद्यमान है।

रामदूत अतुलित बल धामा।

अंजनि पुत्र पवनसुत नामा।।

हनुमान जी आप श्री राम जी के दूत हैं, आप बल के धाम है यानी आपके समान दूसरा कोई बलवान नहीं है। आप अंजनी माता के पुत्र हैं और पवन देव आपको अपना पुत्र मानते हैं। इसलिए संसार आपको पवनपुत्र नाम से भी जानता है।

महावीर विक्रम बजरंगी।

कुमति निवार सुमति के संगी।।

हे बजरंगबली आप से बड़ा कोई वीर नहीं है। आप दुर्बुद्धि
को दूर करते हैं और सद्बुद्धि वाले लोगों के साथ रहते हैं।

कंचन बरन बिराज सुबेसा।

कानन कुंडल कुंचित केसा ।।

आपका शरीर सोने के समान है आपके कानों में कुंडल है

और आप सुंदर वस्त्रों व घुंघराले बालों से शोभायमान है।

हाथ बज्र और ध्वजा विराजै।

कांधे मूंज जनेऊ साजै।।

आपके हाथों में वज्र और ध्वजा रहती हैं
तथा आपके कंधे पर मुंज की जनऊ सुशोभित है।

शंकर सुवन केसरी नंदन।

तेज प्रताप महा जग बंदन।।

हनुमान जी आप भगवान शंकर जी के अवतार हैं और केसरी जी के पुत्र हैं।
आप तेजस्वी हैं, सारा संसार आपकी वंदना करता है।

विद्यावान गुनी अति चतुर।

राम काज करिबे को आतुर।।

आप सभी विद्या जानते हैं और आप गुणवान व बहुत चतुर है। भगवान
श्री राम के कार्यों को करने के लिए आप हरदम तैयार और उत्सुक रहते हैं।

प्रभु चरित्र सुनबे को रसिया।

राम लखन सीता मन बसिया।।

हनुमान जी आप श्री राम कथा सुनने में आनंद रस लेते हैं। भगवान
श्री राम, माता सीता व लक्ष्मण जी आपके हृदय में निवास करते हैं।

सूक्ष्म रूप धारि सियाहिं दिखावा।

बिकट रुप धरि लंक जरावा।।

आपने बहुत छोटा रूप धारण करके माता सीता को दिखाया
तथा भयानक रूप धारण करके लंका को जला दिया।

भीम रूप धरि असुर सिंहारे।

रामचंद्र के काज संवारे।।

आपने बहुत विशाल और विकराल रूप धर के राक्षसों
को मार दिया और श्रीराम के कार्यों को पूरा किया।

लाए संजीवन लखन जियाये।

श्रीरघुबीर हरषि उर लाये।।

हनुमान जी आप संजीवनी बूटी लेकर आए, जिसकी वजह से लक्ष्मण जी के प्राण बचे।
भगवान राम ने प्रसन्न होकर आपको अपने हृदय से लगा लिया।

रघुपति किंही बहुत बड़ाई।

तुम मम प्रिय भरत सम भाई।।

भगवान श्रीराम ने आपकी बहुत प्रशंसा की है और
कहा है कि तुम मुझे भरत के समान प्रिय भाई हो।

सहस बदन तुम्हारो जस गावै।

अस कहि श्रीपति कंठ लगावै।।

श्री राम जी ने कहा है कि हनुमान तुम्हारा यश हजारों मुखों से गाया
जाए और यह कहकर प्रभु ने आपको अपने हृदय से लगा लिया।
सनकादिक ब्रह्मादि मुनीसा।

नारद सारद सहित अहीसा।।

श्री सनक, ऋषि मुनि, देवता, नारद, सरस्वती आदि सभी

जम कुबेर दिगपाल जहां ते।

कवि कोबिद कही सके कहाँ ते।।

यमराज, कुबेर आदि दिगपाल भी आपके यश का पूरी तरह से कभी वर्णन
नहीं कर सकते, तो कवि और विद्वान कैसे आप का वर्णन कर सकते हैं।

तुम उपकार सुग्रीवहि कीन्हा।

राम मिलाए राजपद लीन्हा।।

आपने सुग्रीव जी को श्री रामचंद्र जी से मिला कर उन पर उपकार
किया है और रामचंद्र जी ने सुग्रीव को राज-पाट दे दिया है।

तुमरो मंत्र बिभीषण माना।

लंकेश्वर भए सब जग जाना।।

आपकी बातों को विभीषण जी ने माना है। जिसके फलस्वरूप वे
आगे चलकर लंका के राजा बने, इसको सारा जगत जानता है।

जुग सहस्त्र जोजन पर भानू।

लील्यो ताहि मधुर फल जानू।।

जो सूर्य पृथ्वी से (14,96,00,000) किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। जहां
तक कोई पहुंच नहीं पाया, आपने उस सूर्य को मीठा फल समझकर खा लिया था।

 प्रभु मुद्रिका मेलि मुख माही।

जलाधि लांघि गए अचरज नाही।।

हनुमान जी आपने प्रभु श्री राम की अंगूठी अपने मुख में रखकर समुद्र को पार किया। परंतु इसमें आपके लिए कोई आश्चर्य की बात नहीं है। (100 योजन= 160000 km.)

दुर्गम काज जगत के जेते।

सुगम अनुग्रह तुम्हरे तेते।।

इस पूरे संसार में जितने भी कठिन से कठिन कार्य
है, वह सब आपकी कृपा से आसान हो जाते हैं।

राम दुआरे तुम रखवारे।

होत न आज्ञा बिनु पैसारे।।

हनुमान जी आप श्री रामचंद्र जी के द्वार के रखवाले हैं।

आपकी आज्ञा के बिना उसमें कोई भी प्रवेश नहीं कर सकता।

सब सुख लहै तुम्हारी सरना।

तुम रक्षक काहू को डरना।।

आप की शरण में आने वाले व्यक्ति को सभी प्रकार के सुख प्राप्त होते हैं और आप
जब उस व्यक्ति के रक्षक हो तो उसे किसी चीज से डरने की आवश्यकता नहीं रहती।

आपन तेज सम्हारो आपै।

तीनों लोक हांक ते कांपै।।

आप अपने तेज को खुद आप ही संभाल सकते हैं, दूसरा कोई नहीं। आपकी गर्जना से तीनो लोक कांपने लगते हैं।

भूत पिशाच निकट नहीं आवे।

महावीर जब नाम सुनावै।।

जो भी आपका नाम स्मरण करता है, उसके पास भूत प्रेत आ नहीं सकते।

नासै रोग हरे सब पीरा।

जपत निरंतर हनुमत बीरा।।

जो व्यक्ति आपका सच्चे मन से नाम लेता है। उसके
सभी रोग और कष्ट को आप नष्ट कर देते हैं।

संकट ते हनुमान छुडा़वै।

मन क्रम बचन ध्यान जो लावै।।

जो व्यक्ति मन कर्म और वचन से आपका स्मरण करता है।
उस व्यक्ति को सभी प्रकार के संकटों से आप छुड़ा लेते हैं।
सब पर राम तपस्वी राजा।

तिनके काज सकल तुम साजा।।

तपस्वी राजा श्री रामचंद्र जी सबसे श्रेष्ठ है।
उनके सभी कार्यों को आपने आसानी से कर दिया।

और मनोरथ जो कोई लावै।

सोई अमित जीवन फल पावै।।

आपके सामने जो भी अपनी इच्छा रखता है, उसे तुरंत फल प्राप्त होता है।

चारों जुग परताप तुम्हारा।

है प्रसिद्ध जगत उजियारा।।

हे हनुमान जी आपका प्रताप चारों युगों में है। यह बात

किसी से छिपी नहीं है, सारा जगह इस बात को जानता है।

साधु संत के तुम रखवारे।

असुर निकंदन राम दुलारे।।

आप सभी संतों की रक्षा करने वाले हैं तथा राक्षसों
का नाश करने वाले हैं और राम जी के दुलारे हैं।

अष्ट सिद्धि नव निधि के दाता।

अस बर दीन जानकी माता।।

आपको सीता माता जी ने अष्ट सिद्धि और नव निधियां प्रदान की है और

आप यह आठों सिद्धियां और नौ निधियां किसी को भी प्रदान कर सकते हैं।

राम रसायन तुम्हारे पासा।

सदा रहो रघुपति के दासा।।

आपके पास राम नाम की सबसे बड़ी औषधि है।
हनुमान जी आप सदा श्री राम जी के सेवक बने रहे।

तुम्हरे भजन राम को पावै।

जनम जनम के दुख बिसरावै।।

जो व्यक्ति आपका भजन करता है, उसके भजन सीधे श्री रामजी
तक पहुंचते हैं और उस व्यक्ति के हर जन्म के दुख दूर हो जाते हैं।

अंतकाल रघुबर पुर जाई।

जहां जन्म हरि भक्त कहांई।।

जो व्यक्ति आपको याद करता रहता है, वह अपने अंत समय में श्री हरि
के धाम जाता है और यदि धरती पर जन्म लेता है तो श्री हरि भक्त कहलाता है।

और देवता चित्त ना धरई।

हनुमत सेई सर्व सुख करई।।

जो भी हनुमान जी की पूजा अर्चना करता है, उसे फिर किसी देवी देवता की पूजा करने की आवश्यकता नहीं रहती।

क्योंकि उसे आपकी पूजा करने से ही जीवन के सभी फल प्राप्त होते हैं।

संकट कटे मिटे सब पीरा।

जो सुमिरे हनुमत बलबीरा।।

जो व्यक्ति आपको याद करता है, उसके सभी संकटों को आप
हर लेते हैं और उसकी सभी पीड़ाओं को आप दूर करते हैं।

जय जय जय हनुमान गोसाई।

कृपा करहु गुरुदेव की नाई ।।

हनुमान जी आपकी सदा जय हो, जय हो, जय हो,
आप मुझ पर गुरु जी की तरह कृपा करिए।

जो सत बार पाठ कर कोई।

छूटहि बंदि महा सुख होई।।

जो भी हनुमान चालीसा का 100 बार पाठ करेगा, वह सभी
प्रकार के बंधन से मुक्त होकर महा सुख प्राप्त करेगा।

जो यह पढ़े हनुमान चालीसा।

होय सिद्धि साखी गौरीसा।।

जो हनुमान चालीसा का पाठ करता है। उसको सिद्धि
प्राप्त होती है, इसके साक्षी स्वयं शंकर भगवान हैं।

तुलसीदास सदा हरि चेरा।

कीजै नाथ हृदय महं डेरा।।

तुलसीदास जी कहते हैं कि मैं सदा श्रीहरि का
दास हूं। आप मेरे हृदय में निवास कीजिए।

पवन तनय संकट हरन मंगल मूरति रुप।

राम लखन सीता सहित हृदय बसहु सुरभूप।।

हे पवन पुत्र आप सभी संकटों को हरने वाले हैं, आप मंगल मूरत वाले हैं, मेरी
प्रार्थना है कि आप मेरे हृदय में श्री राम, माता सीता व लक्ष्मण जी सहित बस जाइये।

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