क्या सच में शिवरात्रि व्रत रखने पर मिलता है मनचाहा वर ?

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हिन्दू धर्म के प्रमुख त्योहारों मे से एक शिवरात्रि है। जिसका भोले बाबा के भक्तों को बेसब्री से इंतजार रहता है। इस दिन वो पूरी श्रद्धा भाव के साथ भोले बाबा की पूजा-अर्चना करते है और उनको प्रसन्न करने का प्रयास करते है। साल में एक बार ही महाशिवरात्रि आती है, इसलिए भक्त इस दिन विशेष पूजा कर उनकी कृपा पाने का प्रयास करते है।

क्योंकि ये बात जग विख्यात है की जिसको भोले बाबा की कृपा मिल जाये उसका बाल भी बांका नहीं हो सकता। मान्यता है की जो व्यक्ति महाशिवरात्रि के दिन भोले बाबा की सच्चे मन से पूजा करता है,उसे भोले नाथ की विशेष कृपा प्राप्त होती है। मालूम हो महाशिवरात्रि फाल्गुन मास की कृष्ण चतुर्दशी के दिन और साल में एक बार आती है और कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी के दिन जो शिवरात्रि होती है वो हर माह में आती है।

जाने क्यों मनाई जाती है महाशिवरात्रि

माना जाता है कि शिवरात्रि वाले दिन भगवान शंकर और मां पार्वती की शादी हुई थी, इस दिन माता पार्वती को मनचाहे भगवान शिव वर के रूप में प्राप्त हुए थे इसलिए अगर आप वाकई में किसी से प्रेम करते हैं या करती हैं तो इस दिन जरूर उपवास कीजिए, आपकी मन मांगी मुराद जरूर पूरी होगी। महाशिवरात्रि भारत का बहुत ही महत्वपूर्ण त्योहार है। इस दिन पूरे देश के हिन्दुओं में व्रत रखा जाता है। इस दिन बाबा भोलेनाथ को खुश करने के लिए लोग धूमधाम से पूजा-अर्चना की जाती है। कुछ लड़कियां अपना मनचाहा वर पाने के लिए भी इस दिन व्रत रखती हैं। इसी के साथ आज हम आपको इस आर्टिकल में यही बताने वाले है की किस तरह से पूजा करके आप मनचाहा वर प्राप्त कर सकते है।

जाने इस साल की महाशिवरात्रि का मुहर्त

दरअसल ज्यादातर लोगो का यही मानना है की महाशिवरात्रि का व्रत रखने से मनचाहा वर की प्राप्ति होती है। इस साल महाशिवरात्रि 21 फरवरी को है। चतुर्थी तिथि प्रारंभ होगी शाम को 5:20 से और समाप्त होगी। अगले दिन 22 फरवरी शाम 7:02 पर वहीँ रात्रि में पूजा का समय 21 फरवरी को शाम 6:41 से रात 12:52 तक। निशिता काल पूजा का समय 22 फरवरी को 12:09 AM से 1 बजे तक है। इस दिन हर तरफ मंदिरों में तैयारियां शूरू हो चुकी हैं। इस दिन बाबा भोलनाथ को खुश करने के लिए धूमधाम से पूजा-अर्चना और व्रत रखते हैं। लोग भोलनाथ को खुश करने के लिए अलग-अलग तरीके से पूजा करते है। आज आपको बताते हैं पूजा करने के कुछ ऐसे तरीके जिससे आपकी हर मनोकामना पूरी होगी और आपको मनचााह वर मिलेगा।

इस विधि से पूजन करने से मिलेगा मनचाह वर

ज्यादातर लोग बेलपत्र से पानी शिवलिंग पर छिडकते है उसका तात्पर्य यह है कि शिव की क्रोध की अग्नि को शान्त करने के लिये ठंडे पानी व पत्ते से स्नान कराया जाता है। जो कि आत्मा कि शुद्धि का प्रतीक है। शिवलिंग को स्नान कराने के बाद शिवलिंग पर चन्दन का टीका लगाना शुभ जाग्रत करने का प्रतीक है। फल, फूल चढ़ाना, धन्यवाद करना भगवान की कृपा और जीवनदान, भगवान शिव ने ही इस दुनिया की रचना की थी उनकी इस खूबसूरत दुनिया की रचना पर धन्यवाद करना।

Mahashivratri 2020 Date – जाने पूजा विधि व शुभ मुहूर्त

धूप जलाने से सब अशुद्ध वायु, कीटाणु, गंदगी का नाश करने का प्रतीक माना जाता है। ऐसा करने से हमारे सब संकट, कष्ट, दुख दूर होंगे। दिया जलाने से ज्ञान, रोशनी ,प्रकाश ,विद्वान , शिक्षा आदि में बढ़ोत्तरी होती है। माना जाता है कि शिव शंकर भोलेनाथ की पूजा व जाप करके और शिव जी पर बेलपत्र, धतूरा बेर अर्पित करने से भक्तों पर कृपा बरसती है। साथ ही भगवान की कृपा पाने के लिए उनके ऊपर पुष्प अर्पित, उनकी आरती व परिक्रमा भी की जाती है। हालांकि, परिक्रमा में ध्यान रखें कि शिव जी की परिक्रमा सम्पूर्ण रूप से नहीं की जाती है। कहा जाता है कि जिधर से जलअभिषेक किया हुआ जल निकलता है। उस नाल का उलंधन नहीं किया जाना चाहिए।

मान्यताओं के अनुसार शिवरात्रि के दिन भगवान शिव और माता पार्वती की सच्चे दिल से पूजा-आराधना करने से सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं। इसके अलावा जो युवतियां या युवक अच्छा पति या पत्नी की इच्छा रखते हैं उनके लिए भी शिवरात्रि का दिन बेहद खास होता है। शिवरात्रि के दिन भगवान शिव और मां पार्वती की विधि विधान से पूजा करने पर मनचाहे वर की प्राप्ति होती है।

जाने क्या है महाशिवरात्रि व्रत के पीछे की कहानी

औरतो के लिए विशेष रुप से यह त्योहार शुभ माना जाता है। क्योकि एक कथा है कि पार्वती ने तपस्या और प्रार्थना की कहा जाता है की पार्वती जी ने शिव भगवान को पाने के लिए बहुत ही कड़ी तपस्या की थी। क्योकि की वे अपना मनचाह वर शिव को पाना चाहती थी और शिव को मनाना इतना आसान नहीं थी। इसलिए उन्होंने शिव के लिए कड़ी तपस्या की थी। आखिरकार पार्वती जी की तपस्या से प्रसन्न होकर शिव उनसे विवाह के लिए तैयार हो गए और महाशिवरात्रि वाले दिन शिव और पार्वती का विवाह हुआ था। तभी से हमारे देश में महाशिवरात्रि मनाई जाने लगी।

महाशिवरात्रि की प्रधानता

वैसे तो हर मास की कृष्णपक्ष चतुर्दशी को मास शिवरात्रि मनाई जाती है लेकिन फाल्गुन कृष्ण चतुर्दशी को पड़ने वाली महाशिवरात्रि की प्रधानता मानी गई है। आपको बता दें कि शिव तंत्र के महादेव हैं ,तंत्र में कई साधना ऐसे होती हे जो केवल इसी रात्रि को की जा सकती है। कहते हैं इसी दिन शिवज्योति प्रकट हुई थी और शिव पार्वती का विवाह हुआ था इसलिए इस दिन का महत्व बहुत ज्यादा है।

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