अंतराष्ट्रीय मुद्रा कोष (IMF) की प्रमुख अर्थशास्त्री गीता गोपीनाथ ने सोमवार को भारतीय अर्थव्यवस्था के सम्बन्ध में मोदी सरकार के लिए एक बुरी खबर दी है। गीता गोपीनाथ ने दावोस में वर्ल्ड इकोनॉमिक फोरम (WEF) समिट के दौरान बातचीत करते हुए कहा कि ग्लोबल ग्रोथ के अनुमान में 80% तक की गिरावट के लिए भारत जिम्मेदार है। गीता गोपीनाथ के इस बयान को लेकर कांग्रेस नेता व पूर्व वित्त मंत्री पी चिदम्बरम तथा पूर्व मंत्री कपिल सिब्बल ने मोदी सरकार पर निशाना साधा है।
पी चिदंबरम ने कहा है कि गीता गोपीनाथ के इस बयान के बाद मौजूदा सरकार के मंत्री अब गीता गोपीनाथ पर हमला करेंगे। उन्होंने ट्वीट करते हुए कहा कि “आईएमएफ के मुख्य अर्थशास्त्री गीता गोपीनाथ ने सबसे पहले निंदा करने वालों में से एक थे। मुझे लगता है कि हमें आईएमएफ और डॉ. गीता गोपीनाथ पर सरकार के मंत्रियों के हमले के लिए खुद को तैयार करना चाहिए”। इसके अलावा एक और ट्वीट में पी चिदंबरम ने कहा है कि “बहुत प्रयास करने के बावजूद भी जीडीपी 4.8% तक रहेगी। अगर यह और भी कम हो जाए तो मुझे आश्चर्य नहीं होगा”। एक अन्य ट्वीट में उन्होंने कहा कि “आईएमएफ के रियलिटी चेक के अनुसार 2019-20 में ग्रोथ 5% से भी कम 4.8% की दर होगी।”
Even the 4.8 per cent is after some window dressing. I will not be surprised if it goes even lower.
— P. Chidambaram (@PChidambaram_IN) January 21, 2020
IMF Chief Economist Gita Gopinath was one of the first to denounce demonetisation.
I suppose we must prepare ourselves for an attack by government ministers on the IMF and Dr Gita Gopinath.
— P. Chidambaram (@PChidambaram_IN) January 21, 2020
आईएएमफ ने अपने अनुमान के अनुसार बताया है कि 2019 में वृश्विक आर्थिक वृद्धि की दर 2.9% तक रह सकती है जबकि 2020 में कुछ सुधार होने कि बात कही है जिसमे यह 3.3% पर पहुंचेगी। साथ ही कहा कि साल 2021 में यह 3.4% हो जाएगी। आईएमएफ ने पिछले साल अक्टूबर में वैश्विक वृद्धि का अनुमान बताया था जिसमे अब 2019 और 2020 के लिये उसके ताजा अनुमान में 0.1% की गिरावट आयी है जबकि 2021 के वृद्धि अनुमान में 0.2% तक की गिरावट आयी है। आईएमएफ ने कहा कि यह जो कमी आयी है वह कुछ उभरते बाजारों में खासतौर पर भारत में आर्थिक गतिविधियों को लेकर कुछ हैरान करने वाली नकारात्मक बातें हैं।
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आईएमएफ ने आगे कहा कि इसी वजह से अगले दो वर्षों के लिये वृद्धि संभावनाओं का फिर से अनुमान लगाया गया है। मुख्य अर्थशास्त्री गीता गोपीनाथ ने बताया कि ख़ासतौर पर गैर-बैंकिंग वित्तीय क्षेत्र में नरमी और ग्रामीण इलाकों की आय में धीमी वृद्धि कि वजह से भारत की आर्थिक वृद्धि दर के आकलन में गिरावट आयी है। आईएमएफ का कहना है कि मौद्रिक तथा राजकोषीय प्रोत्साहनों के अलावा तेल के दाम में नरमी से 2020 व 2021 में देश की आर्थिक वृद्धि दर में सुधार आएगा और यह क्रमश: 5.8% और 6.5% तक रहेगी। यह अनुमान अक्टूबर में जारी विश्व आर्थिक परिदृश्य के पूर्व अनुमान के मुकाबले में 1.2% और 0.9% कम है।