सबसे कम कार्यकाल वाले मुख्यमंत्रियों में शामिल हुए देवेंद्र फडणवीस

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महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने 26 नवम्बर ( मंगलवार ) 2019 को अपने मुख्यमंत्री पद से इस्तीफ़ा दे दिया है। देवेंद्र फडणवीस का कार्यकाल सिर्फ 3 दिन 8 घंटे तक ही रहा और इसके साथ देवेंद्र फडणवीस सबसे कम कार्यकाल वाले मुख्यमंत्रियों की सूची में शामिल हो गए हैं। देवेंद्र फडणवीस ने अपने मुख्यमंत्री पद की शपथ 23 नवम्बर को ली थी। लेकिन विपक्ष के दलों ने इसका विरोध करते हुए सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की जिसकी वजह से महाराष्ट्र में फ्लोर टेस्ट करवाने का निर्णय लिया गया। लेकिन फ्लोर टेस्ट होने के पहले ही देवेंद्र फडणवीस ने अपने पद से इस्तीफ़ा दे दिया। ऐसे कई मुख्यमंत्रियों ने दिए इस्तीफ़ा।

ओम प्रकाश चौटाला ने दिया इस्तीफ़ा

बता दें की 1990 में ओम प्रकाश चौटाला ने हरियाणा के मुख्यमंत्री पद से इस्तीफ़ा दिया था, जिनका कार्यकाल सिर्फ 5 दिनों का ही था। इतना ही नहीं चौटाला ने कई बार अल्पकालीन इस्तीफ़ा दिया। एक बार तो बिना विधायक बने ही चौटाला के पिता ने इनको मुख्यमंत्री बना दिया था क्योंकि इनके पिता उस समय उप प्रधानमंत्री थे। बिना विधायक बने मुख्यमंत्री का चुनाव नहीं लड़ा जा सकता है जिसकी वजह से चौटाला जी को अपने पद से इस्तीफ़ा देना पड़ा था।

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जगदम्बिका पाल ने दिया इस्तीफ़ा

1998 में कांग्रेस नेता जगदम्बिका पाल को अपने मुख्यमंत्री पद से इस्तीफ़ा देना पड़ा। जगदम्बिका पाल सिर्फ 1 दिन ही मुख्यमंत्री थे इनके नाम यह रिकार्ड शीर्ष पर है क्योंकि सबसे कम कार्यकाल इन्ही का है। 1998 में सुप्रीम कोर्ट ने उत्तर प्रदेश में फ्लोर टेस्ट का आदेश दिया था। उस समय उत्तर प्रदेश के राज्यपाल रोमेश भंडारी थे, जिहोने तत्कालीन मुख्यमंत्री कल्याण सिंह को मुख्यमंत्री पद से हटा दिया था और जगदम्बिका पाल को मुख्यमंत्री बना दिया था। तब प्रदेश में फ्लोर टेस्ट हुआ था जिसमे जगदम्बिका पाल ने अपना बहुमत साबित नहीं कर पाए और कल्याण सिंह फिर से सीएम बन गए। जगदम्बिका पाल सिर्फ 1998 में 21 फरवरी से 23 फरवरी तक ही मुख्यमंत्री रहे।

बी एस एड्युरप्पा ने दिया इस्तीफ़ा

2018 में बी एस येडड्युरप्पा को अपने मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा देना पड़ा। 2018 में बीजेपी की तरफ से येडड्युरप्पा ने कर्नाटक के मुख्यमंत्री पद की शपथ ली। लेकिन कांग्रेस और जेडीएस ने इसका विरोध किया और फ्लोर टेस्ट का निर्णय हुआ, 17 मई को शपथ ग्रहण करने वाले बी एस येडड्युरप्पा ने फ्लोर टेस्ट होने से ठीक पहले 19 मई को इस्तीफा दे दिया था। इनका कार्यकाल सिर्फ दो दिन का ही था।

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