जाने कैसे हुई नोबेल पुरस्कारों की शुरुआत, पढ़े इससे जुड़ी पूरी जानकारी

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नोबेल पुरस्कारों की स्थापना स्वीडिश रसायनशात्री अल्फ्रेड नोबेल के वसीयतनामे के अनुसार 1895 में हुई। अब आप के मन में एक सवाल उठ रहा होगा की ये अल्फ्रेड नोबेल थे कौन और उनके वसीयतनामे में ऐसा क्या था , तो चलिए हम आप को बताते हैं अल्फ्रेड नोबेल का जन्म स्वीडन में 21 अक्टूबर 1833 को हुआ था अपनी पूरी जिंदगी में अल्फ्रेड नोबेल ने कुल 355 आविष्कार किए थे। उनकी सबसे क्रांतिकारी खोज 1867 में डायनामाइट के रूप में थी। सन 1888 में एक अखबार ने गलती से उनकी मृत्यु की झूठी खबर छाप दिया। अखबार ने लिखा “मौत के सौदागर की मृत्यु” अर्थात अल्फ्रेड नोबेल की मृत्यु हो गयी है। अख़बार ने अल्फ्रेड को डाइनामाइट का आविष्कार करने के कारण हजारों लोगों की मौत के लिए जिम्मेदार ठहराया था

अखबार में छपे “मौत के सौदागर” वाक्य ने अल्फ्रेड नोबेल को बुरी तरह से झकझोर दिया था। अपने आविष्कार को लेकर अल्फ्रेड नोबेल को भारी पश्चाताप था तभी उन्होंने निश्चय किया कि वह अपने व्यक्तित्व पर लगने वाले इस दाग को मिटा देंगे। 27 नवंबर 1895 को उन्होंने अपनी वसीयत लिखी और अपनी कुल संपत्ति का 94% हिस्सा अर्थात 31,225,000 स्वीडिश क्रोनोर को नोबेल पुरस्कार की स्थापना के लिए दान कर दिया।

कितनी धनराशि मिलती है विजेता को

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अब सवाल ये उठता है की क्या नोबेल विजेता को सिर्फ पैसे ही दिए जाते हैं ? तो आप की जानकारी के लिए बता दें की ऐसा सोचना बिलकुल गलत है नोबेल पुरस्कार विजेता के सम्मान में एक शानदार समारोह का आयोजन किया जाता है जिसमें विश्व के विद्वानों द्वारा व्याख्यान होता है। स्टॉकहोम में स्वीडिश राजा द्वारा पुरस्कारों का वितरण किया जाता है। एक नोबेल पुरस्कार विजेता को 9 मिलियन स्वीडिश क्रोनोर दिए जाते हैं। पैसे के साथ, एक डिप्लोमा और जीवन भर के लिए नयी पहचान के साथ उन्हें एक पदक भी दिया जाता।

वर्ष 1901 में सबसे पहले नोबेल पुरस्कार विजेता को पुरस्कार के रूप में 1,50,782 स्वीडिश क्रोन दिए गए। नोबेल पुरस्कार स्टॉकहोम में हर वर्ष 10 दिसम्बर को आयोजित एक समारोह में चयनित लोगों को दिया जाता है।10 दिसम्बर को ही नोबेल पुरस्कार इसलिए दिया जाता है क्योंकि इसी दिन अल्फ्रेड नोबेल का निधन हुआ था। उन्ही कि याद में 10 दिसम्बर को नोबेल पुरस्कार दिया जाता है।

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इन लोगों ने नोबेल पुरस्कार लेने से किया मना

आपको बता दे कि दुनिया में कुछ लोगो ऐसे भी है जिन्होंने नोबेल पुरस्कार जैसे उच्च पुरस्कार को लेने से इंकार कर दिया। पहले व्यक्ति रिचर्ड कुहन (रसायनशास्त्र, 1938), दुसरे व्यक्ति अडोल्फ बुटेनंट (रसायनशास्त्र, 1939), तीसरे व्यक्ति गरहार्ड डोमाग्क (औषधी, 1939) यह तीनो विद्वान जर्मनी के थे, चौथे व्यक्ति बोरिस पास्टेरनक (साहित्य, 1958) जो कि सोवियत यूनियन देश के थे, पांचवे व्यक्ति ज्यां-पाल सार्त्र (साहित्य, 1964) और छठवें व्यक्ति ली डक थो (शांति, 1973) ने नोबेल पुरस्कार लेने से इनकार कर दिया था।

एक से अधिक बार भी कई लोगों को मिला नोबेल पुरस्कार

महत्वपूर्ण बात यह है कि कुछ ऐसे भी महान व्यक्ति तथा संस्थाएं है जो एक से अधिक बार नोबेल पुरस्कार विजेता बनी। जिनमे’द इंटरनेशनल कमिटी ऑफ द रेड क्रॉस सोसाइटी” ने तीन बार नोबेल शांति पुरस्कार कि विजेता बनी। आपको बता दें कि सबसे पहली महिला नोबेल पुरस्कार विजेता मेरी क्यूरी थी, जिनको 1903 में भौतिकी के लिए नोबेल पुरस्कार विजेता के रूप में चुना गया था।

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