सिद्धार्थनगर:। उत्तर प्रदेश के स्वास्थ्य मंत्री के गृह जनपद और उनके गृह जनपद में स्वास्थ्य सेवाएं बदहाल औऱ बंद से बदतर हैं सुनने में यह थोड़ा अजीब लगता है, लेकिन ज़िला सिद्धार्थनगर के स्वास्थ्य विभाग के लिए यह कोई नई बात नही है। आये दिन यहां का स्वास्थ्य विभाग अपने कारनामो के लिए प्रदेश की सुर्खियों में बना रहता है।
ताज़ा मामला ज़िले के इटवा का है इटवा तहसील के बिसुनपुर की एक महिला जो कि इटवा सीएचसी में अपने बच्चे का इलाज करवाती है लेकिन बच्चे की हालत देख कर बच्चे वहां के डाक्टर उसे ज़िले पर रेफर करते हैं, इलाज करवाने के लिए महिला जिला अस्पताल पहुँचती है तो ज़िला अस्पताल के डॉक्टरों व कर्मचारियों की लापरवाही से आहत हो जाती है।
यही नही अस्पताल की दीवारों पर लिखे स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों के मोबाइल नम्बरों से महिला मदद मांगी लेकिन कही से कोई मदद नही मिली बीते 1 तारीख को स्वास्थ्य मंत्री के दौरे पर महिला ने स्वास्थ्य मंत्री से अस्पताल प्रशासन द्वारा अपने बच्चे के प्रति हो रहे लापरवाही को लेकर मदद की गुहार लगाई।
लेकिन महिला के मुताबिक स्वास्थ्य मंत्री ने भी मामले में कोरोना का हवाला देते हुए मामले से पल्ला झाड़ लेते हैं, महिला के मुताबिक स्वास्थ्य मंत्री के जिला अस्पताल से निकलते ही विभागीय कर्मचारियों ने महिला व उसके बच्चे के इलाज में लापरवाही बरतते हुए किसी और बच्चे को लगाये गए।
इंजेक्शन को दुबारा उसके बच्चे को लगाया बच्चे के शरीर मे खून की भी कमी थी और महिला को खून लेने को भेजा गया महिला खून लेकर आई लेकिन बच्चे को खून भी नहीं चढ़ाया गया और महिला और बच्चे को इतना प्रताड़ित किया किया गया कि महिला बच्चे को लेकर जिला अस्पताल के बाहर सड़क पर धरने पर बैठ गई और सड़क पर इंसाफ की गुहार लगाने लगी।
मौके पर महिला को देख कर भीड़ इकट्ठा हुए जिसके बाद सड़क भी जाम हो गई जिसकी खबर विभागीय अधिकारियों के पास भी पहुँची जिसके बाद अधिकारियों ने इस मामले में।कुछ भी बोलने इनकार कर दिया, ऐसे में एक असहाय महिला अपने बच्चे के इलाज के लिए और लापरवाह कर्मचारियों के खिलाफ कार्यवाही को लेकर सड़क पर इंसाफ की गुहार लगा रही है लेकिन विभागीय अधिकारियों के लापरवाही के मामले अनेकों है जिनमे आज तक कारवाही नही हुई तो इस मामले में भी करवाही की उम्मीद कम ही है।
रिपोर्ट:-कृपा शंकर भट्ट…