मुस्लिम पक्ष जीत जाए तब भी राम मंदिर को दे दी जाए ज़मीन: मौलाना तौकीर रज़ा

  • सभी मुस्लिम बुद्धिजीवियों ने कहा कि हिन्दुस्तान में लोग अमन और सुकून चाहते हैं
  • ज़मीन केंद्र सरकार को दे दी जाए और बाबरी मस्जिद के लिए अलग जगह दी जाए
  • मुस्लिम लीग ने कहा कि हम इस तरह बाबरी मस्जिद की ज़मीन तोहफे में नहीं देंगे

अयोध्या में राम मंदिर और बाबरी मस्जिद के लिए सुप्रीम कोर्ट का फैसला आने ही वाला है। मुस्लिम संस्था ने ज़मीन सरकार को सौंपने का प्रस्ताव दिया है जबकि दूसरी संस्था बाबरी मस्जिद नहीं देने की बात कर रही है। इन सब के बीच भूमि विवाद को आपसी सुलह से हल करने की कोशिशे भी हो रही हैं।

राजधानी लखनऊ में गुरुवार को मुस्लिम फार पीस संस्था के बैनर तले इत्तेहादे मिल्लत कौंसिल के राष्ट्रीय अध्यक्ष मौलाना तौकीर रज़ा सहित कई उलेमा और मुस्लिम बुद्धिजीवियों ने शिरकत किया। इन सभी लोगों ने कहा कि हिन्दुस्तान में लोग अमन और सुकून चाहते हैं यदि सुप्रीम कोर्ट में मुस्लिम पक्ष जीत भी जाए तो वह ज़मीन राम मंदिर के लिए हिन्दुवों को सौंप दी जाए। इन बुद्धिजीवियों का कहना है कि हम सुप्रीम कोर्ट के फैसले का सम्मान करते हैं लेकिन सरकार मुस्लिमों के बाकी धार्मिक स्थानों कि सुरक्षा सुनिश्चित करे।

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एएमयू (AMU) के पूर्व वाइस चांसलर जमीरुद्दीन शाह भी अमन चाहते हैं। रिटायर्ड अनीस अंसारी का कहना है कि हमे मध्यस्थता के ज़रिये इस मामले का हल निकालना चाहिए। उन्होंने कहा कि ज़मीन को सुन्नी वक़्फ़ बोर्ड के द्वारा केंद्र सरकार को दे दी जाए और मस्जिद के लिए अलग जगह ज़मीन दी जाए। मस्जिद शहीद करने में जिन लोगों का हाथ था उनको सज़ा दी जाए। अयोध्या की बाकी मस्जिदों के रखरखाव की इजाज़त दी जाए। जब तक सभी पक्ष इसके लिए तैयार नहीं होंगे तब तक यह मामला हल नहीं होगा।

वहीँ मुस्लिम लीग ने इस कांफ्रेंस का विरोध करते हुए हज़रतगंज में गाँधी प्रतिमा पर धरना दिया और कहा कि हम इस तरह ज़मीन तोहफे में नहीं देंगे। मुस्लिम लीग के नेता मतीन खान का कहना है कि कुछ लोग बाबरी मस्जिद का सौदा करना चाहते हैं। सुप्रीम कोर्ट में 6 पार्टी हैं जिसमे से 5 पार्टिया कोर्ट के फैसले को मानने के लिए तैयार हैं लेकिन सुन्नी सेंट्रल वक़्फ़ बोर्ड मानने को तैयार नहीं हो रहे हैं।

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