अब प्राइवेट स्कूल नहीं ले सकेंगे मनचाही फीस

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अब प्राइवेट स्कूल नहीं ले सकेंगे मनचाही फीस उत्तर प्रदेश में अब प्राइवेट स्कूलों पर प्रतिबन्ध लगा दिया गया है, प्राइवेट स्कूल अब बच्चों से मनचाही फीस नहीं ले सकते हैं। उत्तर प्रदेश उप मुख्यमंत्री श्री दिनेश शर्मा द्वारा “उत्तर प्रदेश फीस नियंत्रण अधिनियम” का संचालन किया गया है। उत्तर प्रदेश फीस नियंत्रण अधिनियम के तहत प्राइवेट स्कूल बच्चों के अभिभावकों से मनचाही फीस नहीं ले सकेंगे और प्राइवेट स्कूल अपने आप से स्कूल की फीस भी नहीं बढ़ा सकतें हैं। उत्तर प्रदेश फीस नियंत्रण अधिनियम का मुख्य उद्देश्य स्टूडेंट्स के अभिभावकों को प्राइवेट स्कूलों के उत्पीड़न से बचाना है।

माननीय उप मुख्यमंत्री दिनेश शर्मा द्वारा संचालित किये गए उत्तर प्रदेश फीस नियंत्रण अधिनियम से प्राइवेट स्कूलों पर कई प्रतिबन्ध लगाए गएँ हैं। जैसे की प्राइवेट स्कूल स्टूडेंट्स को किसी एक निश्चित दूकान से किताबें तथा यूनिफॉर्म खरीदने के लिए दबाव नहीं दाल सकतें हैं, प्राइवेट स्कूल स्टूडेंट्स से हर साल एडमिशन फीस भी नहीं ले सकतें हैं। अगर प्राइवेट स्कूल अधिनियम द्वारा बनाये गए नियमों का पालन नहीं करेंगे तो उत्तर प्रदेश फीस नियंत्रण अधिनियम के तहत उन पर कार्यवाई की जाएगी। उत्तर प्रदेश फीस नियंत्रण अधिनियम 2017 में लागू किया गया था।

यूपी फीस नियंत्रण अधिनियम की विशेषताएं

  • प्राइवेट स्कूल स्टूडेंट्स से मनचाही फीस नहीं ले सकते हैं
  • प्राइवेट स्कूल अपने आप से स्कूल की फीस नहीं बढ़ा सकते हैं
  • प्राइवेट स्कूल स्टूडेंट्स से सिर्फ एक बार ही एड्मिशन फीस लेंगे
  • प्राइवेट स्कूल स्टूडेंट्स से हर साल एडमिशन फीस नहीं लेंगे
  • प्राइवेट स्कूल किसी एक निश्चित दुकान से किताबें तथा यूनिफॉर्म खरीदने के लिए स्टूडेंट्स पर दबाव नहीं डालेंगे
  • प्राइवेट स्कूल अपने फीस का विवरण स्कूल की वेबसइट पर डालेंगे

नियमों का उल्लंघन करने पर की जाने वाली कार्यवाई

  • अगर स्कूल पहली बार नियमों का उल्लंघन करेगा तो उस पर 1 लाख रुपये का वित्तीय जुर्माना लगेगा
  • यदि स्कूल दूसरी बार नियमों का उल्लंघन करेगा तो उस पर 5 लाख रुपये का वित्तीय जुर्माना लगेगा
  • यदि स्कूल दो बार से अधिक नियमों का उल्लंघन करता है तो उस स्कूल की मान्यता समाप्त कर दी जाएगी

इस प्रकार माननीय उप मख्यमंत्री दिनेश शर्मा द्वारा शुरू किये गए उत्तर प्रदेश फीस नियंत्रण अधिनियम 2017 के तहत प्रदेश में प्राइवेट स्कूल अब अपने मनचाहे नियमों को लागू नहीं कर सकेंगे। इससे प्रदेश के मध्यम वर्गीय लोग भी अपने बच्चों को प्राइवेट स्कूलों में पढ़ा सकते हैं।

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