ये जीव धरती से हुआ विलुप्त तो मानव जीवन भी होगा समाप्त

bee life
image source - google

आज हम आप को एक ऐसे जीव के बारे में बताने जा रहें है, जिसके विलुप्त होने से संपूर्ण मानव जाति का विनाश हो सकता है।

आपको यह जानकर काफी आश्चर्य होगा की मधुमक्खियों को पृथ्वी ग्रह पर जीवित प्राणियों में सबसे महत्वपूर्ण प्राणी घोषित किया गया है। अर्थवॉच इंस्टीट्यूट द्वारा लंदन की रॉयल ज्योग्राफिक सोसायटी की पिछली बैठक में यह निष्कर्ष निकाला गया था। सायद यह आपके पुराने विचारों को न बदल सके परन्तु यह सच है। आप चाहे जितना ट्विटर फेसबुक या अन्य सोशल मीडिया पर पर्यावरण के बारे में खुद को संवेदनशील साबित कर लें परन्तु जमीनी हकीकत नहीं बदल सकती।

द साइंस टाइम्स के अनुसार, दुनिया का 70% कृषि विशेष रूप से मधुमक्खियों पर निर्भर है। मधुमक्खियों का सबसे महत्वपूर्ण कार्य परागण है, जो पौधों को निषेचन की प्रक्रिया में सक्षम बनाता है। उनका मानना है की मधुमक्खियों बिना, जीव जल्द ही समाप्त होने लागेनेगे।

इतना ही नहीं एग्रीकल्चरल इनोवेशन (FIA) फाउंडेशन के समर्थन के साथ, चिली के एपिकल्चर उद्यमिता केंद्र (CeapiMayor) और एपिकल्चर कॉर्पोरेशन ऑफ चिली (Cach) द्वारा किए गए एक अध्ययन का निष्कर्ष है कि मधुमक्खियां एकमात्र जीवित प्राणी हैं, जो किसी भी प्रकार का रोगज़नक़ कीटाणु का संचरण नहीं करती है, चाहे वह कवक, वायरस या जीवाणु हो।

आईये जानते हैं मधुमक्खियों को बचाने के उपाय

मधुमक्खियों के संख्या में गिरावट के मुख्य कारणों में कीटनाशकों के अनियंत्रित उपयोग, फूलों की कमी और वनों की कटाई को जिम्मेदार ठहराया जा सकता है। इस वजह से शोधकर्ताओं का मानना है कि हमें तुरंत कीटनाशकों के उपयोग पर रोक लगाने की आवश्यकता है। हमें पूरी तरह से प्राकृतिक कृषि विकल्पों को बढ़ावा देना चाहिए और मधुमक्खियों के स्वास्थ्य और कल्याण की सावधानीपूर्वक निगरानी करनी चाहिए।

शोधकर्ताओं का मनना है की हम सात सबसे खतरनाक कीटनाशकों (तीन निकोटीन दोषियों सहित) पर प्रतिबंध लगाकर दुनिया में मधुमक्खियों को बहाल कर सकते हैं और उनकी रक्षा कर सकते हैं। हमें जंगली निवास स्थान को संरक्षित करके परागणक स्वास्थ्य की रक्षा करना और पारिस्थितिक कृषि को बहाल करना चाहिए

हमें मूल रूप से जंगली आवासों को संरक्षित करने और मधुमक्खियों को बचाने के लिए पारिस्थितिक खेती की आवश्यकता है। यह बड़ी मोनो-फसलों से बचने और पारिस्थितिकी तंत्र की विविधता को संरक्षित करने का काम करता है। यह प्राकृतिक खाद प्रणालियों के साथ मिट्टी के पोषक तत्वों को भी पुनर्स्थापित करता है, तथा हवा और पानी के क्षरण से मिट्टी के नुकसान से बचाता है। साथ ही इससे कीटनाशकों और रासायनिक उर्वरकों से बचा जा सकता है।

इससे मधुमक्खी की आबादी को बहाल किया जा सकेगा, जिससे परागण की प्रक्रिया में सुधार होगा तथा यह फसलों की पैदावार में भी सुधार करेगा।

About Author