दिल्ली प्रदूषण, किसान नहीं फैक्ट्रियां फैला रही जहर

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देश की राजधानी दिल्ली में प्रदूषण चरम सीमा पर है। इस प्रदूषण से वहां के लोगों को जीवन जीना मुश्किल हो गया है, यहाँ तक की अब दिल्ली के ही लोग दिल्ली में रहना नहीं चाहते है। दिल्ली सरकार और प्रदूषण विशेषज्ञों का कहना है की दिल्ली में बढ़ते प्रदूषण का कारण इसके पड़ोसी राज्य हैं। माना जाता है की पड़ोसी राज्यों हरियाणा, उत्तर प्रदेश और पंजाब में धान की पराली जलाने से दिल्ली में प्रदूषण का स्तर बढ़ रहा है।

दिल्ली में प्रदूषण के स्रोत

स्रोत प्रतिशत
इंडस्ट्री 51%
वाहन धुएं से 25%
घरेलू उपयोग 11%
कृषि 8%
अन्य कारण 4%

दिल्ली में फैक्ट्री और वाहनों का प्रदूषण 76% है और खेती से केवल 8% है लेकिन फिर भी प्रदूषण के लिए पड़ोसी राज्यों के किसानों पर जुर्माना लगाया जा रहा है, और उन्हें बदनाम किया जाता है।

दरअसल, बात यह है की दिल्ली अपना प्रदूषण नियंत्रित करने में असफल है इसलिए दिल्ली अपनी जिम्मेदारी का बोझा अपने पड़ोसी राज्यों के सिर पर रख रही है की दिल्ली में प्रदूषण पड़ोसी राज्यों हरियाणा,पंजाब और उत्तर प्रदेश में धान की पराली जलाने से हो रहा है। लेकिन अगर हम उपर्युक्त आकड़ों को देखें तो खेती से बहुत ही कम प्रदूषण हो रहा है सबसे ज्यादा प्रदूषण फैक्ट्रीयों और वाहनों से हो रहा है।

किसानों को बदनाम करना बंद करो

जिन राज्यों को दिल्ली प्रदूषण का कारण मानती है उन राज्यों में कृषि अधिक की जाती है लेकिन कृषि के कारण कृषि प्रधान राज्यों में प्रदूषण बिलकुल नहीं है। पंजाब की पराली से न पंजाब को दिक्कत है और न ही उसके पड़ोसी राज्य राजस्थान और हरियाणा को दिक्कत है, हरियाणा की पराली से न तो हरियाणा को दिक्कत है और उत्तर प्रदेश की पराली से उत्तर प्रदेश को भी दिक्कत नहीं है। तो फिर एक-दूसरे राज्य को बायपास करके सारी दिक्कत दिल्ली कैसे पहुँच जाती है। बल्कि देखें तो उल्टा दिल्ली से जुड़े अन्य राज्यों के शहरों में दिल्ली के प्रदूषण का असर पड़ता है। लेकिन दिल्ली सरकार पड़ोसी राज्यों के किसानो को प्रदूषण का जिम्मेदार मानती है और उन्हें बदनाम करती है।

दिल्ली में प्रदूषण के मुख्य कारण

  • औद्योगिक फैक्ट्रियों में नवीनतम तकनीक का प्रयोग न करना
  • आवासीय और वाणिज्यिक क्षेत्रों में कारखानों और फैक्ट्रियों को खोलना
  • सड़कों पर डीजल वाहनों की संख्या बढ़ना
  • सडकों पर निजी वाहनों का बढ़ना
  • जनसंख्या वृद्धि

प्रदूषण नियंत्रण के उपाय

  • कारखानों तथा फैक्ट्रियों में से निकलने वाले दूषित जल का पुनः चक्रण करके दोबारा उपयोग करना
  • फैक्ट्रियों को केवल औद्योगिक क्षेत्रों में खोलना
  • निजी वाहनों का उपयोग कम करना
  • औद्योगिक इकाइयों में नई तकनीक का उपयोग करना
  • डीजल वाहनों की जगह CNG वाहनों का उपयोग करना

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