कौन है Gangubai Kathiawadi,क्यों कहते है उनको माफिया क्वीन

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Alia Bhatt और Sanjay Leela Bhansali की एक नई फिल्म आ रही है। आपको बता दे की इस फिल्म का नाम है Gangubai Kathiawadi इस फिल्म में मुख्य किरदार आलिया भट्ट निभाएंगी और संजय लीला भंसाली खुद इसे डायरेक्ट करेंगे। फिल्म में आलिया भट्ट गंगूबाई काठियावाड़ी का किरदार निभा रही हैं। अब यह नाम सुनकर आपके मन में ये सवाल आ रहा होगा की आखिर कौन है Gangubai Kathiawadi ?

लोग इन्हे क्यों कहते है माफिया क्वीन ?

तो आइये हम आपको बताते है की आखिर कौन है Gangubai Kathiawadi लेकिन उनके बारे में जानने से पहले आपका यह जानना जरुरी है की आखिर उनकी इस जिंदगी की कहनी को किताब के पन्नों पर उतारा किसने है।आपको बता दे की प्रसिद्ध लेखक एस हुसैन जैदी ने Gangubai Kathiawadi की जिंदगी से जुडी कहानी को किताब के पन्नों पर उतरा है उन्होंने इस किताब का नाम “माफिया क्वींस ऑफ मुंबई” रखा है।

बचपन से ही बनना चाहती थी एक्ट्रेस

अब हम बात करते है Gangubai Kathiawadi की गंगूबाई गुजरात के काठियावाड़ की रहने वाली थी। इस वजह से ही उन्हें गंगूबाई काठियावाड़ी कहा जाता था। बता दे कि इनका असली नाम गंगा हरजीवनदास काठियावाड़ी था। जो बचपन से ही एक एक्ट्रेस बनना चाहती थी। मगर महज सोलह साल की उम्र में ही इन्हे अपने पिता के अकाउंटेंट से प्यार हो गया। ऐसे में उस अकाउंटेंट से शादी करने के बाद वे दोनों मुंबई भाग कर आ गए।

Gangubai Kathiawadi असली नाम

1940 के दशक के ग्रामीण परिवारों के लिए असामान्य बात होते हुए भी गंगा के परिवार ने उसकी पढ़ाई पर ख़ासा ध्यान दिया। मगर गंगा तो फिल्मों और एक्टिंग के नशे के चलते मुंबई जाने की इच्छा पाल रही थी। उसकी इस इच्छा को पंख तब और ज्यादा लग गए जब उसके पिता ने 28 साल के रमणीक लाल को नया अकाउंटेंट नियुक्त किया और गंगा को ये पता चला कि रमणीक ने कुछ साल मुंबई में बिताए हैं। गंगा की रमणीक से बातें होने लगीं। पहले बात-चीत मुंबई और हीरोइन बनने के अपने सपने को लेकर होती थी।लेकिन जल्द ही सब कुछ प्यार में बदल गया।

जिससे प्यार किया उसेने दिया धोखा

रमणीक ने मुंबई फ़िल्म इंडस्ट्री में अपने संपर्कों के माध्यम से गंगा को एक रोल दिलवाने का वादा किया। गंगा को अपना सपना पूरा होता हुआ दिखने लगा और फिर एक दिन रमणीक के कहने पर गंगा ने उससे काठियावाड़ के एक मंदिर में गुप्त रूप से विवाह कर लिया और मुंबई के लिए निकल गयी। एक सप्ताह तक मुंबई घूमने के बाद रमणीक ने सुझाव दिया कि जब तक वह कोई स्थायी कमरा नहीं ढूंढ लेता।

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तब तक गंगा उसकी शीला मौसी के साथ रहे। गंगा मान गयी और रमणीक उसे मौसी के साथ छोड़ कर कमरे की तलाश में चला गया। गंगा जब मौसी के साथ उनके रहने के ठिकाने ‘कमाठीपुरा’ पहुंची, तब उसे वहाँ का माहौल देख कर कुछ अलग ही पता चला। मौसी ने बताया कि“मैं रमणीक की मौसी नहीं हूँ, मैं एक चकला चलाती हूँ। रमणीक ने तुम्हें 500 रुपये में मेरे हाथों बेच दिया है। वह वापस नहीं आएगा। वह वापस काठियावाड़ चला गया है।

उन्होंने वेश्या जीवन को ही अपना भाग्य स्वीकार लिया

गंगा को समझ में नहीं आया कि अपने भाग्य को स्वीकार कर ले या घर चली जाए। शीला उसे याद दिलाती रहती कि एक बार काठियावाड़ के गांव वालों को इस बात का पता चल गया कि वह मुंबई के कमाठीपुरा में रहकर आई है तो, वे लोग उसके घर वालों को बाहर कर देंगे। इन परिणामों के बारे में सोचकर उसने आख़िरकार यह फैसला किया कि वह घर नहीं लौटेगी। एक दिन गंगा ने शीला को बुलाया और कहा कि वह हर काम करने को तैयार है। ख़ुशी के मारे शीला ने उसे गले से लगा लिया और कहा कि चकला हमेशा उसका पूरा ध्यान रखेगा।

उन्होंने बदल दिया अपना अस्तित्व

वेश्या बनाए जाने के लिए की गयी रस्मों में से एक, जिसमें लड़की को दुल्हन की तरह सजाया जाता था। लड़की अपनी नाक में बाईं तरफ एक बड़ी सी नथ पहनती थी। ये नथ उसके कौमार्य का प्रतीक होता था। जो सबसे बड़ी बोली लगाता, वो उस लड़की के साथ पहली रात होता। इस रात के बाद लड़की कभी भी नथ नहीं पहनती थी। रस्म के बाद जब ग्राहक ने पूछा कि “तुम्हारा नाम क्या है?” तो, पहले वह कुछ झिझकी और फिर उसने जवाब दिया, ‘गंगू’। उसने अतीत के हर निशान को मिटाने के बारे में सोचा और इसके बाद गंगा, गंगू बन गई।

Gangubai Kathiawadi के साथ हुआ रेप

वक़्त गुज़रने लगा। एक दिन माफिया डॉन करीम लाला की गैंग के एक सदस्य ने गंगूबाई के साथ रेप कर दिया। गंगूबाई की मदद के लिए जब कोई खड़ा नहीं हुआ तो, इंसाफ के लिए वो खुद करीम लाला से मिलने पहुंच गई। करीम लाला ने गंगूबाई को इंसाफ का वादा किया, जिससे भावुक होकर गंगूबाई ने उसकी कलाई पर राखी बांधी और उसे अपना भाई बना लिया। करीम लाला को भाई बनाने का फायदा ये हुआ कि धीरे-धीरे कमाठीपुरा की पूरी कमान गंगूबाई के हाथ में आ गई। सेक्स वर्कर्स के लिए गंगूबाई ‘गंगू मां’ बन गयी। गंगूबाई किसी लड़की की मर्जी के बिना उसे चकले पर नहीं रखती थी।

उन्होंने डॉन को अपना भाई बना लिया

गंगूबाई शहरों में प्रॉस्टिट्यूशन बेल्ट के हक में थीं और हमेशा सेक्स वर्कर्स के अधिकारों के लिए खड़ी रहीं। गंगूबाई ने कई बच्चों को भी गोद लिया, जो उनके साथ वहीं रहते थे। ये बच्चे या तो अनाथ थे, या बेघर। गंगूबाई ने इन बच्चों की पढ़ाई और इनको पालने की जिम्मेदारी ली।गंगूबाई का रुतबा बढ़ने लगा और बड़े- बड़े लोग उनके नाम से डरने लगे। मुंबई माफिया से करीबी और नेताओं तक पहुंच ने गंगूबाई कोठेवाली को कमाठीपुरा का क्वीन बना दिया।

इसलिए कहीं जाती है माफिया क्वीन

ऐसा कहा जाता है कि गंगूबाई किसी भी लड़की को उसकी मर्जी के बिना कोठे पर नहीं रखती थी, क्यूकि वह नहीं चाहती थी कि जो तकलीफ उन्हें मिली है, वह किसी और को भी मिले। बहरहाल अब तो आपको पता चल गया होगा कि गंगूबाई काठियावाड़ी आखिर कौन थी और उनके जीवन को लेकर फिल्म क्यों बनाई जा रही है। भले ही गंगूबाई को काफी छोटी उम्र में वेश्यावृति का सामना करना पड़ा हो लेकिन अपने जीवनकाल में उन्होंने अनाथ बच्चों और सेक्स वर्क्स के लिए बहुत काम किया था।

क्या सियासी बवाल की वजह बनेगी यह फिल्म ?

आपको ये कहानी जान कर समझ तो आ ही गया होगा कि क्यों संजय लीला भंसाली ने गंगूबाई की बायोपिक बनाने का निर्णय लिया। आलिया भट्ट गंगूबाई का किरदार निभा रही हैं। फिल्म का नाम ‘गंगूबाई काठियावाड़ी’ रखा गया है और जो 11 सितंबर 2020 को रिलीज़ के लिए बताई जा रही है। फिल्म के कुछ पोस्टर्स सोशल मीडिया पर आये हैं। फिल्म का इंतज़ार रहेगा और हम आशा करते हैं कि भंसाली की पिछली फिल्म ‘पद्मावत’ की तरह इस पर कोई बवाल न खड़ा हो।

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