अमित शाह ने भारतीय पुलिस सेवा के प्रशिक्षु अधिकारियों से की भेंट

● केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने भारतीय पुलिस सेवा के प्रशिक्षु अधिकारियों को सम्बोधित किया
● सभी को जिम्मेदारी के साथ काम करना होगा-अमित शाह
● मन और आत्मा से बड़ा शिक्षक कोई नहीं होता-अमित शाह

केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने आज 2018 बैच के भारतीय पुलिस सेवा के प्रशिक्षु अधिकारियों को सम्बोधित करते हुए कहा कि ईश्वर ने आपको देश सेवा का बहुत बड़ा मौका दिया है। इसलिये जिम्मेदारी के साथ काम करना होगा। आपका यह प्रयास होना चाहिए कि संवेदनशील होकर ड्यूटी करें। जिसमें कई तरह की चुनौतियां आएंगी पर सफलता के लिए अडिग रहना जरूरी है। शाह का कहना था कि आपकी तरफ से यह सेवा स्वयं के या परिवार के लिए न होकर देश के लिए होनी चाहिए।

कानून-व्यवस्था देश की रीढ़ की हड्डी है

उन्होंने यह भी कहा कि आंतरिक सुरक्षा और कानून-व्यवस्था देश की रीढ़ की हड्डी है। जिसके बिना विकास संभव नहीं है। उनका कहना था कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा देश को 5 ट्रिलियन इकोनॉमी बनाने में कानून व्यवस्था की महत्वपूर्ण भूमिका है। गृहमंत्री का कहना था कि छवि निर्माण एक-दो दिन में नहीं होता बल्कि उसके लिए एक लंबा अंतराल चाहिए। पुलिस की नकारात्मक छवि बनाने में साहित्य, अखबार और फिल्मों का योगदान ज्यादा है। अमित शाह का कहना था कि एक समान सोच, दिशा, गति तथा मुक्त चिंतन से छवि सुधारने का काम किया जा सकता है।

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कानून व्यवस्था राज्य का विषय होता है

उन्होने पुलिस रिफोर्म पर कहा कि कानून व्यवस्था राज्य का विषय होता है, और केंद्र सरकार सलाहकार की भूमिका में होती है। उन्होंने यह भी कहा कि निचले स्तर का कर्मचारी भी पुलिस महकमे का महत्वपूर्ण हिस्सा है। कांस्टेबल के भी अनुभव का लाभ लिया जाना चाहिए। शाह का कहना था कि किसी भी व्यवस्था को प्रभावी तथा तकनीकी रूप से सक्षम बनाने की लगातार आवश्यकता होती है। किंतु पुलिस व्यवस्था में पुरानी परंपराओं को छोड़कर सफलतापूर्वक कार्य नहीं किया जा सकता है। इसलिये विस्तार से पुरानी परंपराएं जानकर उन्हें भी पुनर्जीवित करें।

अंग्रेजों द्वारा की गई थी आईपीसी, सीआरपीसी की रचना

शाह ने कहा कि आईपीसी और सीआरपीसी की रचना अंग्रेजों द्वारा की गई थी। उनका उद्देश्य अलग था परंतु अब कल्याणकारी राज के लिये कानून की प्राथमिकता नये सिरे से तय करने की आवश्यकता है। इसलिये आईपीसी और सीआरपीसी में धारणात्मक बदलाव की जरूरत है। उनका यह भी कहना था कि कानून व्यवस्था जनता के कल्याण के लिए होनी चाहिए न कि उनमें भय पैदा करने के लिए। श्री शाह का कहना था कि श्री नरेंद्र मोदी सरकार के लिये देश की आंतरिक सुरक्षा और बेहतर कानून व्यवस्था सर्वोपरि है।

अमित शाह ने कुशल प्रबंधन पर पूछे गए एक सवाल का जवाब देते हुए कहा कि कुशल प्रबंधन के दो महत्वपूणॆ बिंदु हैं, पहला कि हर व्यक्ति को उसके दायित्व का निर्वहन करने के लिए स्वतंत्र किया जाना चाहिए तथा दूसरा न तो दूसरों के कार्य में दखल दिया जाए और न ही किसी का दखल स्वीकार किया जाए। उन्होंने आगे कहा कि फैसला लेने की जिम्मेदारी जिसकी है उसे ही कार्य करना दिया जाए तथा प्रत्येक व्यक्ति को उसकी क्षमताओं का उपयोग करने के लिए स्वतंत्र छोड़ना चाहिये, उसे प्रेरित करने के साथ-साथ उसकी क्षमता निर्माण में सहायता करना भी आवश्यक है।

अमित शाह ने सफलता का मूल मंत्र देते हुए कहा कि मन और आत्मा से बड़ा शिक्षक कोई नहीं होता। उन्होंने महात्मा गांधी का उदाहरण देते हुए कहा कि मन से संवाद करें और आत्म विश्लेषण करते रहना चाहिए। श्री शाह ने कहा कि इस तरह कार्य कर सरदार पटेल के अखिल भारत की कल्पना को पूर्ण किया जा सकता है।

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